श्रीदेव सुमन विवि के लिए खुले यूजीसी ग्रांट के रास्ते
जागरण संवाददाता, नई टिहरी: श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में सात साल से यूजीसी ग्रांट का जो सूखा चल
जागरण संवाददाता, नई टिहरी: श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में सात साल से यूजीसी ग्रांट का जो सूखा चल रहा था, वह अब खत्म हो जाएगा। विवि के परिसर बनने के बाद अब विवि को यूजीसी ग्रांट मिल सकेगी। ग्रांट मिलने से विवि में शोध कार्य और अन्य शैक्षणिक सुविधाओं का विकास होगा और बेहतर उच्च शिक्षा युवाओं को मिल सकेगी।
19 अक्टूबर 2012 को श्रीदेव सुमन विवि का गठन किया गया था और वर्ष 2013 से विवि में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुई, लेकिन विवि को यूजीसी ग्रांट के लिए सात साल तक इंतजार करना पड़ा। विवि के परिसर और एकेडमिक व एग्जीक्यूटिव काउंसिल न होने के कारण यूजीसी ग्रांट नहीं मिल पा रही थी, जिस कारण विवि को सुविधाएं विकसित करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। फार्म की बिक्री और फीस से ही विवि में शैक्षणिक कार्य आदि किए जा रहे थे। विवि में सेमिनार और शोध कार्य भी नहीं हो पाते थे। इस वजह से बाहर से विशेषज्ञों का लाभ भी विवि के छात्रों को नहीं मिल पाता था। लेकिन अब विवि के गोपेश्वर और देहरादून कैंपस बनने के बाद एकेडमिक व एग्जीक्यूटिव काउंसिल का गठन भी कर दिया गया है, जिसके बाद यूजीसी से अब विवि को ग्रांट मिल सकेगी। विवि में नई सुविधाओं का विकास भी हो सकेगा। इसके लिए विवि ने तैयारी भी शुरू कर दी है। जल्द ही विवि की तरफ से यूजीसी में ग्रांट के लिए आवेदन किया जाएगा। यूजीसी हर वर्ष देश के विश्वविद्यालयों को ग्रांट देता है, जिससे विवि में शोध कार्य आदि किए जाते हैं।
विवि को अभी तक यूजीसी की ग्रांट नहीं मिलती थी, जिससे शैक्षणिक कार्यो में परेशानी आती थी लेकिन अब परिसर बनने के बाद यूजीसी की ग्रांट मिल सकेगी। विवि में बेहतर सुविधाओं का विकास हो सकेगा।
डॉ. दीपक भट्ट, कुलसचिव श्रीदेव सुमन विवि बादशाहीथौल टिहरी गढ़वाल
ये होगा ग्रांट से फायदा
- बेहतर फर्नीचर
- बेहतर भवन और कक्षाएं
- ई लाइब्रेरी
- हाइटेक प्रयोगशालाएं
- खेलकूद का सामान
- स्मार्ट क्लासरुम
- सेमिनार, वर्कशॉप का आयोजन