पेड़ न पौधा, नाम वनौषधि वाटिका
संवाद सहयोगी, चंबा : नगर क्षेत्र स्थित वनौषधि वाटिका की सुध लेने वाला कोई नही है। जिस उद्देश्य क
संवाद सहयोगी, चंबा : नगर क्षेत्र स्थित वनौषधि वाटिका की सुध लेने वाला कोई नही है। जिस उद्देश्य को लेकर इसे वनौषधि वाटिका नाम दिया गया था, वैसी कोई भी गतिविधि यहां संचालित होते नहीं दिख रही। नगर के लोगों ने इसमें स्वरोजगारपरक गतिविधियां शुरू करने की मांग की है।
नगर क्षेत्र चम्बा के अंतर्गत ब्लाक रोड पर सड़क के नीचे स्थित करीब चालीस नाली भूमि को वनौषधि वाटिका नाम दिया गया है। यह वनौषधि वाटिका क्षेत्रीय आयुर्वेद संस्थान रानीखेत अल्मोड़ा के अधीन है। संस्थान की ओर से वनौषधि वाटिका में कर्मचारी के नाम पर मात्र एक चौकीदार नियुक्त किया गया है। उसके अलावा दूसरा कोई कर्मचारी यहां नही है और न ही यहां किसी तरह की गतिविधियां हो रही है। वाटिका की भूमि खाली पड़ी है। वहां कुछ भी नही उगाया जा रहा है। इसे करीब चालीस साल पहले वनौषधि वाटिका बनाया गया था। वाटिका में औषधीय पौधों की नर्सरी तैयार की जानी थी ताकि सरकारी विभागों, संस्थाओं व ग्रामीणों को औषधीय पौधों की नर्सरी उपलब्ध हो सके। इसके अलावा ऐसे जंगली औषधीय पौधे भी यहां उगाए जाने थे जो आसानी से उग नही पाते हैं लेकिन, यहां जमीन खाली पड़ी है। शुरुआती समय के वाटिका के चारों ओर दालचीनी, काफल, अनार, भूतकेश, आंवला, जामुन आदि के जो पेड़ लगाए गए थे, अब उन्हें भी संरक्षण की दरकार है।
नगर पालिका के अध्यक्ष विक्रम ¨सह पंवार का कहना है कि करोड़ों की जमीन का आज कोई उपयोग नही हो रहा है। इसे स्थानीय स्तर पर उद्यान विभाग या फिर वन विभाग को हस्तांतरित किया जाना चाहिए और वाटिका में स्वरोजगारपरक गतिविधियां शुरू करनी चाहिए ताकि वाटिका का उपयोग हो और स्थानीय लोगों को इसका लाभ मिल सके।
वाटिका के प्रभारी व संस्थान के शोध अधिकारी वीके जोशी का कहना है कि बजट के अभाव में कोई भी कार्य नही हो पा रहा है और अब इसे दूसरे विभाग को देने की योजना भी बनाई जा रही है।