साकार नहीं हुआ आइटीआइ का सपना
उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस सरकारों ने विकास के बड़े-बड़े दावे तो किए हैं लेकिन क्षेत्र में विकास के नाम पर पंद्रह साल से आइटीआइ का भवन तैयार नहीं कर पाए।
संवाद सूत्र, कंडीसौड़: उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस सरकारों ने विकास के बड़े-बड़े दावे तो किए हैं, लेकिन क्षेत्र में विकास के नाम पर पंद्रह साल से आइटीआइ का भवन तैयार नहीं कर पाए। अधूरा भवन आवारा पशुओं का अड्डा बना है। आलम यह है कि वर्तमान में जगह के अभाव में आइटीआइ का संचालन बंद कर दिया है। इसके चलते क्षेत्र के युवा नई टिहरी व देहरादून जाने के लिए मजबूर हैं।
क्षेत्र के युवाओं को तकनीकी शिक्षा का सपना तो दिखाया गया, लेकिन सपना साकार नहीं हो पाया। थौलधार विकासखंड मुख्यालय कंडीसौड़ में कांग्रेस शासनकाल में वर्ष 2006 में आइटीआइ स्वीकृत हुआ था। शुरुआत में विकासखंड कार्यालय के दो कमरों में दो ट्रेड सिलाई व कम्प्यूटर के साथ आइटीआइ का संचालन शुरू किया गया था। कंडी ग्राम पंचायत ने अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए भवन निर्माण के लिए 17 नाली भूमि भी दी। वर्ष 2008 में भवन निर्माण के लिए एक करोड़ 22 लाख रुपये स्वीकृति के साथ कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने भवन निर्माण कार्य शुरू किया, लेकिन बाद में भवन के लिए धन की कमी बताकर कार्य पूर्ण नहीं किया गया। इसके बाद दोबारा 65 लाख शासन की ओर से उपलब्ध कराए कुल राशि एक करोड़ 87 लाख रुपये खर्च होने के बावजूद निर्माण पूरा नहीं किया जा सका। जगह के अभाव में आइटीआइ का संचालन वर्ष 2019 में बंद कर दिया गया। पिछले माह 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कंडीसौड़ आए थे। क्षेत्र की जनता को उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री आइटीआइ भवन का लोकार्पण करेंगे, लेकिन उस दिन भी जनता को निराशा हाथ लगी। पता चला है किजिलाधिकारी के बुलाने पर भी उत्तर प्रदेश निर्माण निगम के अधिकारी बैठक में नहीं आए।
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भवन का 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है शेष कार्य पूर्ण करने को लेकर शासन- व प्रशासन को पत्र भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द शेष कार्य पूरा किया जाएगा।
कुलदीप रावत, इंचार्ज आइटीआइ कंडीसौड़