तेजी से गर्म रहे हिमालय पर वैज्ञानिकों ने जताई चिंता
नई टिहरी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार में वैज्ञानिकों ने हिमालय के
नई टिहरी: स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार में वैज्ञानिकों ने हिमालय के तेजी से गर्म होने पर चिता जताते हुए इस ओर गंभीर प्रयास करने पर जोर दिया।
तीन दिवसीय सेमिनार के पहले दिन गढ़वाल विवि के पूर्व कुलपति व सेमिनार के मुख्य वक्ता प्रोफेसर एसपी सिंह ने कहा कि आज की भौतिक दौड़ में मनुष्य अपने व समाज के स्वास्थ्य को नजरंदाज कर रहा है। जिसकी वजह से देश हिमालयी क्षेत्रों में भी विभिन्न प्रकार की आपदाएं व मौसम के बदलाव हो रहा है। यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. आरपी डोभाल ने कहा कि जैव विविधता व पर्यावरणीय संकट के खतरों के पीछे कहीं न कहीं वैश्वीकरण की अवधारणा है। आज सबसे बड़ी चुनौती पर्यावरण, नदियों, प्रकृति और संस्कृति को सुरक्षित रखने की है। नाबार्ड के सलाहाकार व लाइफ साइंस के वैज्ञानिक डॉ. डब्ल्यूएस लाकरा ने कहा कि जब तक हिमालय की सुरक्षा के प्रति हम गंभीर नहीं होगें, तब तक प्रकृति को सुरक्षित रखना संभव नहीं होगा। श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. यूएस रावत व हिमालयन विश्वविद्यालय देहरादून में कार्यरत प्रोफेसर आशा चंदोला सकलानी ने कहा कि भविष्य में टिहरी झील के आकार व स्वरूप को देखते हुए इसमें विभिन्न प्रजातियों की मछलियों का उत्पादन कर राज्य की आर्थिकी को बढ़ाया जा सकता है।
तीन दिवसीय अन्तरर्राष्ट्रीय सेमिनार में नेपाल, जापान व कनाडा के वैज्ञानिकों समेत कुल 150 प्रतिभागी भाग ले रहें है। इस मौके पर डॉ. डीपीएस भंडारी, आयोजक सचिव डॉ. विजय प्रकाश सेमवाल, डॉ. कुलदीप रावत, डॉ. कविता काला, डॉ. शालिनी रावत, डॉ. प्रीति शर्मा, डॉ. निशांत भट्ट, प्रोफेसर एनके अग्रवाल, एसपी सती, आदि मौजूद रहे।