केज कल्चर से बढ़ेगा टिहरी झील में मछली उत्पादन
जागरण संवाददाता नई टिहरी बयालीस वर्ग किमी में फैली टिहरी झील से उम्मीद थी कि वह मछली
जागरण संवाददाता, नई टिहरी: बयालीस वर्ग किमी में फैली टिहरी झील से उम्मीद थी कि वह मछली उत्पादन में नए आयाम गढ़ेगी, लेकिन टिहरी झील तो मछलियों की कब्रगाह साबित हो रही है। मत्स्य विभाग हर साल महाशीर और ट्राउट के सीड (बीज) झील में डाल रहा है, लेकिन उत्पादन बेहद सुस्त है क्योंकि झील की बड़ी और शिकारी मछलियां छोटी मछलियों को खा जाती हैं। ऐसे में अब विभाग ने टिहरी झील में मछलियों की संख्या बढ़ाने के लिए केज कल्चर (बॉक्स) की शुरुआत करने का फैसला किया है। पहली बार टिहरी में केज कल्चर का प्रयोग किया जाएगा।
मत्स्य विभाग हर साल टिहरी झील में मछलियों के सीड डालता है, लेकिन झील में मौजूद बड़ी मछलियां उन्हें खा जाती है। जिस कारण झील में उम्मीदों के मुताबिक मत्स्य उत्पादन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में विभाग ने इस बार झील में केज कल्चर से मछली उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है। केज कल्चर पहली बार कोटेश्वर बांध की झील में प्रयोग किया जाएगा। इसके तहत फ्लोटिग प्लेटफार्म बनाया जाएगा। इसके लिए जेटी की मदद से एक कृत्रिम जलाशय बनाया जाएगा, जो झील के ऊपर ही तैरेगा। इसमें छोटे - छोटे बॉक्स में मछली के सीड डाले जाएंगे और उन्हें वहां उन्हें तीन से पांच महीने तक रखा जाएगा। जब वह थोड़े बड़े हो जाएंगे उसके बाद उन्हें टिहरी झील में छोड़ दिया जाएगा। मत्स्य विभाग ने इस बार जिला योजना में यह मांग रखी, जिसके बाद डीएम डॉ. वी. षणमुगम ने उन्हें जिला योजना के तहत यह बजट जारी किया। संभवत अप्रैल से यह प्रोजेक्ट शुरू कर दिया जाएगा। मत्स्य निरीक्षक आमोद नौटियाल ने बताया कि लगभग 12 लाख रुपये की लागत से केज कल्चर के तहत कोटेश्वर बांध झील में प्लेटफार्म बनाया जाएगा। इसमें मछलियों के सीड को थोड़ा बड़ा होने के बाद झील में छोड़ा जाएगा। अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो आगे इसे बढ़ाया जाएगा। क्या है फायदा
- केज कल्चर से कम जगह पर ज्यादा मछलियां रखी जा सकती हैं
- कम खर्च में ज्यादा उत्पादन
- मछलियों के विकास की ज्यादा संभावना
- मछलियों की अच्छी ग्रोथ
अब तक डाला है डेढ़ करोड़ सीड
टिहरी झील में मत्स्य विभाग 2016 से डेढ़ करोड़ सीड डाल चुका है। लेकिन उत्पादन बेहद कम है। अभी तक चार साल में झील से तीन हजार क्विटल मछलियों का उत्पादन ही हो सका है। जबकि डेढ़ करोड़ सीड से पांच हजार क्विटल से ज्यादा मछलियों का उत्पादन होना था।