प्रचंड हुई जंगलों की आग, पांच गोशालाएं व मुर्गी बाड़ा जला
पर्वतीय जिलों में जंगलों की आग दिन-प्रति दिन प्रचंड होती जा रही है।
जागरण टीम, गढ़वाल: पर्वतीय जिलों में जंगलों की आग दिन-प्रति दिन प्रचंड होती जा रही है। टिहरी जिले में नैनबाग के पास जंगल की आग कोटी गांव तक पहुंच गई जिससे चार गोशालाएं राख हो गई। जबकि उत्तरकाशी में 10 से अधिक स्थानों पर आग लगी है। धरासू रेंज के जोगत तल्ला गांव की एक छानी भी जंगल की आग की चपेट में आने से एक भैंस की जिंदा जल गई। लैंसडौन क्षेत्र के अंतर्गत बौठा गांव के समीप बना एक मुर्गी बाड़ा आग की चपेट में आ गया। इससे बाड़े के अंदर रखी कई मुर्गियां जल गई। धधक रहे जंगलों की आग से प्राकृतिक जल स्रोत भी सूखने लगे हैं, इससे पानी का संकट भी उत्पन्न हो गया है। उधर रुद्रप्रयाग में अबतक 120 हेक्टेयर जंगल जल चुके हैं।
नैनबाग: शनिवार देर शाम को जौनपुर प्रखंड के ग्राम कोटी के समीप तक जंगल की आग पहुंच गई। आग से गांव के पप्पू चौहान, जयपाल सिंह, गुड्डी देवी व विरेंद्र सिंह रावत की गोशालाएं जल गई। गोशाला में आग लगते ही ग्रामीण गोशाला की ओर दौड़ पड़े और यहां बंधे मवेशियों को किसी तरह बाहर निकाला। इस दौरान तीन मवेशी आग से झुलस गए। नई टिहरी: जिले के बालगंगा, कोटीफैगुल, द्वारी, पौखाल, कोटी, मगरौं, चंबा प्रखंड के खुरेत, प्रतापनगर के ओण, भदूरा आदि क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से जंगल आग की चपेट में हैं। चंबा के खुरेत में बीती शनिवार को आग बस्ती तक पहुंच गई थी जिसे ग्रामीणों में बड़ी मशक्कत के बाद बुझाई। वहीं आग कई जगहों पर प्राकृतिक जल स्त्रोत भी सूख चुके हैं जिस कारण यहां पर पानी का संकट भी बढ़ने लगा है। रविवार को भी भिलंगना व चंबा के जंगलों में आग लगी थी।
उत्तरकाशी: उत्तरकाशी वन प्रभाग, अपर यमुना प्रभाग और टौंस वन प्रभाग की अधिकांश रेंजों के जंगलों में इन दिनों आग लगी हुई है। वन विभाग आग बुझाने का भी प्रयास कर रहा है, लेकिन आग पर प्रभावी रूप से काबू नहीं पाया जा सका है।जब तक एक स्थान की आग बुझाई जा रही जब तक दूसरे जंगल में आग लगने की सूचना मिल रही है। चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के ग्राम जोगत तल्ला में विजेंद्र सिंह की छानी तक जंगल की आग पहुंची तथा छानी जलकर खाक हुई। निरीक्षण कर लौटे राजस्व उप निरीक्षक चंद्रशेखर रजवार ने बताया कि विजेंद्र की छान में तीन भैंसें बंधी थी। दो भैंसों को विजेंद्र ने किसी तरह से बचा लिया है। लेकिन एक भैंस की छानी के अंदर ही जलकर मौत हुई।
लैसडौन : पिछले तीन दिनों से लैंसडौन वन प्रभाग क्षेत्र के जंगलों में आग लगी हुई थी। शनिवार रात अचानक आग ने विकराल हो गई। देखते ही देखते आग की लपटें बौठा गांव तक पहुंच गई। ग्रामीणों ने एकजुटता दिखाते हुए कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। ग्रामीण सुबोध बौंठियाल ने बताया कि आग की चपेट में आने से उनकी गोशाला का आधा हिस्सा गिर गया। देर रात ग्रामीणों ने आग पर काबू पाया। ग्रामीण अरुण ने बताया कि कुछ असामाजिक तत्व जंगल में आग लगा देते हैं, जिससे ग्रामीणों को परेशानी होती है। जंगल में आग लगने से पशुओं के लिए चारापत्ती का संकट खड़ा हो गया है। वहीं, जयरीखाल-लैंसडौन मार्ग में हवाघर के समीप भी रविवार को पूरे दिन जंगल धधकते रहे। लैंसडौन वन प्रभाग की रेंजर पूनम कैंथोला का कहना है कि आग लगने की सूचना मिलते ही दमकल व वन कर्मियों को मौके पर भेज दिया गया था। जंगलों को आग से बचाने के लिए ग्रामीणों को भी जागरूक किया जा रहा है।
रुद्रप्रयाग: लगातार जंगलों में आग फैलने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो रही है। पूरे जिले में घाटी से लेकर ऊंचाई वाली पहाड़ियों पर आग लगी हुई है। जिससे चारों ओर धुंध छा गई है। धुंध का असर भी अब आम जन जीवन पर पड़ने लगा है। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक 120 हेक्टेयर जंगल जल चुके हैं। शहरों से लेकर गांवों तक आग पहुंच चुकी है। वन विभाग के साथ ही स्थानीय लोगों के सहयोग से कई क्षेत्रों में आग पर काबू पाया जा चुका है। आग की घटनाओं से चारों ओर धुंध छा गई है। सुबह से ही हल्की धूप आ रही है। धुंध के कारण आंखों में जलन, सांस लेने में भी दिक्कतें आ रही है। जिला चिकित्सालय में तैनात डॉ.राजीव गैरोला का कहना है कि धुंध के कारण आंखों व सांस लेने से संबंधित दिक्कतें हो सकती हैं।