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ऊंचाई वाले गांवों में अब आसान हुआ नकदी फसलों का ढुलान

संवाद सूत्र, नैनबाग: अब काश्तकरों की नकदी फसल आसानी से बाजार तक पहुंच सकेगी, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 06:34 AM (IST)
ऊंचाई वाले गांवों में अब आसान हुआ नकदी फसलों का ढुलान

संवाद सूत्र, नैनबाग: अब काश्तकरों की नकदी फसल आसानी से बाजार तक पहुंच सकेगी, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ मिल पाएगा। नकदी फसल समय पर मंडियों तक नहीं पहुंचने के कारण कई बार फसलें खराब हो जाती थी। फसल को मंडी तक पहुंचाने में भी काफी समय लगता था, लेकिन अब बद्रीधारी से मसोन तक फसलों को सड़क तक पहुंचाने के लिए ट्राली का संचालन शुरू हो गया है। जिससे काश्तकार आसानी से अपनी नकदी फसलों को मंडियों तक पहुंचा रहे हैं।

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जौनपर का मसोन क्षेत्र नकदी फसल उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर बड़ी संख्या में काश्तकार नकदी फसलों का उत्पादन करते हैं। ग्रामीण अपनी नकदी फसल को खच्चरों के माध्यम से सड़क तक पहुंचाते थे। कई बार समय पर फसल मंडी तक नहीं पहुंचने से फसल खराब हो जाती थी। जिस कारण काश्तकारों को खासा नुकसान उठाना पड़ता था। इसको देखते हुए उत्तराखंड विकेंद्रीकरण जलागम विकास परियोजना के तहत ब्रदीधारी से मसोन बैंड तक ट्रॉली का निर्माण किया गया था और पिछले एक माह पूर्व से इसका संचालन भी शुरू हो गया। इसमें एक बार में दस रुपये देकर काश्तकार अपनी फसल को सड़क तक पहुंचा सकते हैं, जबकि पहले खच्चर आदि से एक बार के ढुलान में डेढ़ सौ रूपये तक देने पड़ते थे। ट्रॉली से जहां किसानों की नकदी फसल समय से मंडियों तक पहुंच रही है, वहीं उन्हें इसका लाभ भी मिल रहा है। करीब आधा दर्जन किसानों को इस ट्राली का लाभ मिल रहा है। इससे काश्तकार भी उत्साहित हैं। ट्रॉली का संचालन व देखरेख बद्री कृषक उपयोगिता समूह द्वारा किया जा रहा है। ट्रॉली से फसल ढुलान के जो पैसे लिए जाते हैं उसे ट्रॉली के रखरखाव में खर्च किया जाता है। खच्चरों से जहां फसल को सड़क तक पहुंचाने में एक घंटे से अधिक लग जाता था वहीं ट्रॉली से दस मिनट में फसल को सड़क तक पहुंचाया जाता है। क्षेत्र के जगमोहन सिंह, चैन सिंह, रमेश आदि का कहना है कि ट्राली का संचालन होने से काश्तकारों को अपनी नकदी फसल को सड़क तक पहुंचाने में आसानी हो रही है।

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सात गांवों को मिली सुविधा

टॉली लगाए जाने से क्षेत्र के घंसी, देवन, मातली, सल्टवाड़, खैराड़, चिलामू, मसोन गांव के काश्तकारों को सुविधा मिली। इन गांवों में ज्यादातर काश्तकार शिमला मिर्च, लौंकी, टमाटर, खीरा, मटर, बीन, बैंगन सहित अन्य सीजनल सब्जियों का उत्पादन करते हैं।

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गांवों में नकदी फसल का उत्पादन काफी मात्रा में किया जाता है, लेकिन यहां पर ढुलान की समस्या को देखते हुए ट्राली का निर्माण किया गया और इसका संचालन भी शुरू हो गया है, जिसका काश्तकारों को लाभ मिल रहा है।

नवीन, उप निदेशक, जलागम विकास परियोजना जौनपुर


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