भटवाड़ी गांव वालों की सूझबूझ बनी कोरोना के खिलाफ लड़ाई का हथियार
कोरोना से जहां पूरे देश में त्राहि-त्राहि मची है वहीं अगस्त्यमुनि के दूरस्थ गांव भटवाड़ी में अब तक एक भी कोरोना संक्रमित मरीज नहीं आया है। बड़ी संख्या में प्रवासी भी गांव में लौटे लेकिन इनके लिए गांव में क्वारंटाइन की बेहतर व्यवस्था के कारण गांव में कोरोना संक्रमण पैर नहीं पसार सका।
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: कोरोना से जहां पूरे देश में त्राहि-त्राहि मची है, वहीं अगस्त्यमुनि के दूरस्थ गांव भटवाड़ी में अब तक एक भी कोरोना संक्रमित मरीज नहीं आया है। बड़ी संख्या में प्रवासी भी गांव में लौटे, लेकिन इनके लिए गांव में क्वारंटाइन की बेहतर व्यवस्था के कारण गांव में कोरोना संक्रमण पैर नहीं पसार सका। आज भी यहां के ग्रामीण सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए दो गज की दूरी व मास्क का प्रयोग कर रहे हैं।
जिला मुख्यालय से बदरीनाथ मार्ग पर घोलतीर से दो किलोमीटर पैदल अलकनंदा के दूसरे छोर पर बसे भटवाड़ी गांव में 63 परिवार निवास करते हैं। कोरोना संक्रमण काल को एक वर्ष से अधिक समय हो गया है। पिछले वर्ष मार्च माह से कोरोना संक्रमण पूरे देश में फैला, बड़ी संख्या में प्रवासी अपने घरों को लौटे। इस गांव में भी मुंबई, दिल्ली, बैंग्लुरू और गुजरात समेत देश के विभिन्न कोरोना संक्रमित राज्यों से 41 प्रवासी अपने घरों को लौटे। तब से लेकर आज तक गांव वालों की सूझबूझ का ही नतीजा है कि यहां कोरोना का एक भी मामला नहीं आ पाया। कोरोना की पहली लहर में ही गांव में इंटर कालेज को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया था। यहां पर सभी प्रवासियों को क्वारंटाइन किया गया। और सरकार की गाइडलाइन का पालन सभी से करवाया गया। अब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आ गई है। पूरे देश में कोरोना से खौफ लेकिन इस गांव में आज भी कोई कोरोना संक्रमित मरीज नहीं है। कोई भी यदि बाहर से गांव में आता है तो पूरा गांव उससे दो गज की दूरी व कोरोना गाइडलाइन का पालन करवाता है। ग्राम सभा की उप प्रधान मीरा देवी कहती हैं कि कोरोना को लेकर पूरा गांव संवेदनशील हैं। सरकार की ओर से जो भी दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। उसका पालन प्रत्येक गांव वाला करता है। गांव के शिक्षक सतेंद्र भंडारी, प्रवीन सिंह चौहान समेत आधा दर्जन लोग पूरे गांव को कोरोना के प्रति जागरूक करते हैं। साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। यही कारण है कि इस गांव में आज तक कोरोना संक्रमण नहीं फैल सका। गांव वाले अपने घरों से कम ही बाहर निकलते हैं, और जरूरी काम पड़ने पर ही बाजार जाते हैं।