जलकलश यात्रा के श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: जखोली ब्लाक के गोर्ती अमकोटी में सोमवार को जलकलश यात्रा एवं वैदिक मंत्रोच
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: जखोली ब्लाक के गोर्ती अमकोटी में सोमवार को जलकलश यात्रा एवं वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ श्रीमद्भागवत कथा का विधिवत शुभारंभ हो गया। क्षेत्र के के 108 भक्त जलकलश यात्रा में शामिल हुए। पहले दिन कथावाचक शिव प्रसाद ममगाई ने मानव जीवन के मूल में भक्ति का होना नितांत आवश्यक बताया। कथा श्रवण के लिए बड़ी संख्या में भक्तजन दूरदराज से पहुंचे थे।
गोर्ती अमकोटी गांव में सर्वप्रथम ब्राह्मणों ने गणेश पूजा, पंच पूजा, भद्र पूजा, व्यास पूजा समेत कई नित्य पूजाएं वैदिक मंत्रोच्चरण के साथ संपन्न की। इससे पूर्व क्षेत्र की 108 महिलाएं एवं अन्य ग्रामीण गाजे-बाजों के साथ गांव के प्राकृतिक स्रोत पर पहुंचे, जहां पूजा-अर्चना के बाद कलशों में जल भरा गया। जलकलश यात्रा गोर्ती ग्राम के विभिन्न मार्गों से होती हुई कथास्थल पर पहुंची, जहां विशेष आकर्षण देव डोलियां रही। इसमें जगदी मैया व नगेला देवता की डोलियों की जय-जयकार की गूंज के साथ शोभायात्रा का अक्षत और फूलों से जोरदार स्वागत किया। पहले दिन कथा ज्योतिष पीठ के व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाई ने कहा कि भक्ति से मन की स्थिरता व सारी हलचल समाप्त होती है। मानव जीवन के मूल में भक्ति का होना नितांत आवश्यक है। मन व शरीर की क्रियाओं में समन्वय से ही आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। मन की वृत्ति चंचल होती है, इसे स्थिर व शांत करने के लिए भक्ति का होना नितांत आवश्यक है। मानव शरीर एक ऐसा मंदिर है, जो मनुष्य के मन से निरंतर संसार की ओर देख रहा है। यदि उसमें संसार के प्रति वैराग्य उत्पन्न किया जाए, तो फिर जीव को परमात्मा के आनंद की झलक दिखाई देगी। श्रीमद्भागवत कथा का वर्णन देवलोक में भी दुर्लभ है। व्यास ने भक्ति को श्रीमद्भागवत कथा के मूल में रखकर बदरीनाथ धाम में इसे बोला और गणेश जी से लिखवाया। पुराणों का दृष्टिकोण यथार्थ नहीं बिल्कुल सत्य है। परमात्मा से प्रेम करने वाला गोकर्ण व माता-पिता से द्वेष रखने वाला धुंधकारी है। इस अवसर पर बिमला देवी, वीरेंद्र नेगी, महावीर नेगी, बासुदेव नेगी, ईश्वरी दत्त ममगाई, संपत्ति देवी, राजबीर, रजिता, परमबीर, रूचि, आरूष, भानु प्रसाद ममगाई, ओनिका, गीता, रश्मि, शालिनी, यशवंत बिष्ट, अनारदेई परमजीत ¨सह, आचार्य दामोदर प्रसाद सेमवाल, लक्ष्मण ¨सह, परमिंदर, रमेश मेंगवाल आदि उपस्थित थे।