नारद ऋषि ने रखा था पार्वती नाम
अगस्त्यमुनि: विश्व कल्याण एवं शांति के लिए अगस्त्यमुनि में चल रही शिवमहापुराण कथा में कथावाचक आचार्
अगस्त्यमुनि: विश्व कल्याण एवं शांति के लिए अगस्त्यमुनि में चल रही शिवमहापुराण कथा में कथावाचक आचार्य बिहारी लाल सेमवाल ने सती के अग्निकुंड में भस्म होने और शिव के क्रोधित होने की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि सती के अग्नि में भस्म होने के बाद दोबारा वह हिमालय राजा के यहां सुमैना की पुत्री के रूप में जन्म लेती है। उनका नाम नारद ऋषि ने पार्वती रखा था। पार्वती के कठिन तप के बाद ही उन्हें भगवान शंकर पति के रूप में मिलते हैं। भगवान नारायण के 24 अवतारों के बारे में बताया। प्रतिदिन विभिन्न स्थानों से पहुंची देव डोलियों का भव्य नृत्य भी कथा के दौरान आकर्षण का केन्द्र बना। कथा सुनने के लिए बनियाडी, गंगानगर, फलई, सौड़ी, सिल्ली, रामपुर आदि जगहों से ग्रामीण पहुंचे थे। (संसू)