दहेज हत्या में पति समेत तीन को सात साल की कैद
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: दहेज हत्या के मामले में पति, सास और ननद को जिला एवं सत्र न्यायाधीश हर
संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: दहेज हत्या के मामले में पति, सास और ननद को जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरीश कुमार गोयल की अदालत ने सात-सात साल की कैद की सजा सुनाई। न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तीनों अभियुक्तों को सजा के साथ-साथ 57 हजार रुपये के जुर्माना की सजा सुनाई। इसमें 25 हजार रुपये मृतका की माता को देने के आदेश भी दिए गए।
इसके बाद, तीनों अभियुक्तों को जेल भेज दिया गया।
ग्राम सौंदा भरदार की रीना का विवाह मार्च 2016 में ग्राम शीशों थाना रुद्रप्रयाग के केदार ¨सह पुत्र गंगा ¨सह के साथ हुआ था। विवाह के बाद से ही रीना का पति केदार ¨सह, सास प्रेमा देवी एवं ननद मुन्नी देवी उसे अक्सर दहेज को लेकर प्रताड़ित किया करते थे। इन अभियुक्तों ने एक बार उसका गला दबा कर बोरे में बंद करने का भी प्रयास किया था। 12 सितंबर 2017 को रीना ने महिला हेल्पलाइन रुद्रप्रयाग में शिकायत भी दर्ज कराई थी, जिससे ससुराली पक्ष घबरा गया और रीना को मायके से समझाबुझाकर अपने साथ ससुराल ले आए। इतना ही नहीं रीना के माता-पिता को भी 21 सितंबर 2017 को समझौता करने के लिए बुलाया था। इस तिथि पर ससुराल पक्ष ने लिखित राजीनामा कर लिया कि वह भविष्य में रीना का उत्पीड़न नहीं करेंगे और महिला हेल्पलान में 24 सितंबर 2017 से पहले ही राजीनामा कर लिया। रीना के ससुराल में समझौते के समय रीना, उसकी सास व ननद मुन्नी देवी और दोनों गांव के गणमान्य लोग शामिल थे। राजीनामा करने के पश्चात रीना के पिता इस भरोसे से वापस आ गए कि उनकी पुत्री को ससुराल में अब कोई कष्ट नहीं होगा, लेकिन उसी रात 21 सितंबर को रीना देवी ने अपने आप को ससुराल के कमरे में बंद कर लिया और सुबह जब उसने दरवाजा नहीं खोला तो पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने दरवाजा तोड़कर अंदर देखा तो रीना ने फांसी लगाकर जीवन लीला समाप्त कर दी थी। 25 सितंबर 2017 को रीना के पिता गो¨वद ¨सह ने पुलिस को दी तहरीर में रीना के पति, सास एवं ननद के खिलाफ दहेज हत्या का मामला दर्ज कराया। रीना के पिता ने पुलिस को बताया कि 21 सितंबर की रात्रि को उनकी पुत्री का उत्पीड़न किया गया, जिससे तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली।
पुलिस अधिकारी भी दोषी, कार्रवाई के आदेश
जिला एवं सत्र न्यायाधीश हरीश कुमार गोयल ने पुलिस को इस मामले में लापरवाही का दोषी पाया। फैसले में कहा गया कि पुलिस अधिकारियों ने विवेचना में लापरवाही बरती और न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास किया। न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक को मामले से जुड़े पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय जांच एवं कार्रवाई के आदेश जारी किए।