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सीमांत गांव गौंडार की राह हुई आसान

देश की आजादी के 73 वर्ष बाद अब जिले का सीमांत गांव गौंडार भी मोटर मार्ग से जुड़ पाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 03:40 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 03:40 PM (IST)
सीमांत गांव गौंडार की राह हुई आसान
सीमांत गांव गौंडार की राह हुई आसान

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: देश की आजादी के 73 वर्ष बाद अब जिले का सीमांत गांव गौंडार भी मोटर मार्ग से जुड़ सकेगा। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार से मोटर मार्ग को वन भूमि की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है। मोटरमार्ग से जुड़ने से गौंडार गांव के साथ ही द्वितीय केदार मदमेश्वर की यात्रा भी आसान हो जाएगी।

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वर्ष 2005-06 में पांच किलोमीटर तलसारी तोक-गौंडार तक पांच किलोमीटर मोटर मार्ग को स्वीकृति मिली थी, लेकिन इसके बाद लंबे समय तक राष्ट्रीय वन्यजीव सलाहकार परिषद की स्वीकृति न मिलने से पेच फंसा रहा। डेढ़ दशक पूर्व स्वीकृति मिलने के बाद भी सीमांत गांव गौंडार यातायात सुविधा से न जुड़ने से ग्रामीणों को शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली व संचार जैसी मूलभूत सुविधाओं को तरसना पड़ता था, जिससे उन्हें रोजमर्रा के साथ ही अन्य कार्य निपटाने में काफी परेशानी उठानी पड़ती थी। मोटर मार्ग पर निर्माण कार्य शुरू करने को लेकर गौंडार के ग्रामीणों ने पूर्व में कई बार धरना-प्रदर्शन भी किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी। जिसके बाद वर्ष 2011 में मोटर मार्ग का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, और वर्ष 2017 में राष्ट्रीय वन्यजीव सलाहकार परिषद की स्वीकृति मिलने के बाद जिले के सीमांत गांव गौंडार में यातायात सुविधा से जुड़ने की आस जगी है। इसी वर्ष लोनिवि ऊखीमठ ने वन भूमि स्थानातरण के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की वेबसाइट पर पत्रावली अपलोड कर दी थी, लेकिन विभिन्न आपत्तियों के चलते वन भूमि स्थानांतरण में काफी समय लग गया। गत 26 अक्टूबर को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार ने मोटर मार्ग निर्माण के लिए विभिन्न शर्तों के तहत लगभग 4 हेक्टेयर वन भूमि की सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है। अब लोनिवि ऊखीमठ टेंडर की समस्त औचारिकताएं पूरी करने के बाद मोटरमार्ग का निर्माण कार्य शुरू कर सकेगा। पूर्व में विभाग के पास लगभग 84 लाख रुपये का बजट भी उपलब्ध था। जरूरत पड़ने पर और बजट की मांग की जाएगी। मोटर मार्ग बनने से जहां गौंडारवासियों की बुनियादी सुविधाएं हल होंगी। वहीं द्वितीय केदार मदमेश्वर धाम को जाने की राह भी आसान होगी। वर्तमान में मदमेश्वर धाम की पैदल दूरी लगभग 18 किलोमीटर है, जो पांच किमी मोटर मार्ग बनने से 13 किलोमीटर रह जाएगी। पैदल दूरी अधिक होने से वर्तमान में जहां नाममात्र यात्री यहां पहुंचते हैं, वहीं सड़क बनने से अधिक से अधिक देश-विदेश से यात्री यहां पहुंचने शुरू हो जाएंगे, जिससे गांव में यातायात सुविधा के साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकेगा। साथ ही क्षेत्रीय ग्रामीणों को रोजगार के साधन भी मुहैया हो सकेंगे। उप महानिरीक्षक वन टीसी नौटियाल ने विभिन्न शर्तों के तहत सीमांत गांव गौंडार को मोटर मार्ग से जोड़ने के लिए वन भूमि की स्वीकृति दे दी है तथा अग्रिम कार्रवाई के लिए अपर प्रमुख वन संरक्षक एवं नोडल अधिकारी वन संरक्षण देहरादून को सूचना प्रेषित की जा चुकी है।

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जिले के सीमांत गांव गौंडार मोटर मार्ग के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार से वन भूमि स्वीकृति की सूचना मिली है। शासन के दिशा निर्देशों के बाद मोटरमार्ग निर्माण के लिए आगामी कार्यवाही की जाएगी।

मनोज भट्ट, अधिशासी अभियंता, लोनिवि प्रखंड ऊखीमठ


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