प्रवासियों के संकल्प से खेती योग्य बनी बंजर भूमि
कोरोना संक्रमण के चलते वर्षो बाद महानगरों से लौटे प्रवासी अब अपने पैतृक गांवों में ही रोजगार की संभावना तलाश रहे हैं।
बृजेश भट्ट, रुद्रप्रयाग
कोरोना संक्रमण के चलते वर्षो बाद महानगरों से लौटे प्रवासी अब अपने पैतृक गांवों में ही रोजगार की संभावना तलाश रहे हैं। वह चाहते हैं कि क्षेत्र के विकास में उनकी भी अहम भूमिका हो। इसके लिए उन्होंने शुरुआत भी कर दी है, जिसकी झलक रुद्रप्रयाग जिले के जखोली ब्लॉक में देखी जा सकती है। यहां प्राथमिक विद्यालय घेंघड़ में क्वारंटाइन मुंबई व गुजरात से आए प्रवासियों ने विद्यालय के पास की ऊबड़-खाबड़ जमीन को समतल कर उसे खेतों में तब्दील कर दिया है।
विद्यालय में मुंबई व गुजरात से लौटे ग्राम पंचायत घेंघड़ के 20 प्रवासियों को 14 दिन के लिए संस्थागत क्वारंटाइन किया गया था। लेकिन, प्रवासियों ने इतने दिन खाली बैठने के बजाय विद्यालय की बंजर पड़ी पांच नाली ऊबड़-खाबड़ भूमि को समतल करने का निर्णय लिया। ग्राम प्रधान गुड्डी देवी ने भी प्रवासियों का पूरा सहयोग किया और उन्हें कुदाल, गैंती, फावड़ा, सब्बल आदि उपलब्ध कराए। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और अब ऊबड़-खाबड़ जमीन समतल खेतों में तब्दील हो चुकी है।
ग्रामीण शिव प्रसाद भट्ट बताते हैं कि प्रवासियों के ऊबड़-खाबड़ जमीन को खेती योग्य बनाकर मिसाल पेश की है। अब इन खेतों में फलदार पौधों का रोपण किया जाएगा। साथ ही सब्जियां भी उगाई जाएंगी। जबकि, प्रवासियों गुमान सिंह, हरेंद्र सिंह, गुलाब सिंह, सौरभ भट्ट, गोविंद सिंह, मनोज सिंह जय सिंह, वीरपाल सिंह आदि का कहना है कि वह अब गांव में ही रहकर स्वरोजगार करना चाहते हैं। ताकि गांव आत्मनिर्भर बन सके। ग्राम प्रधान गुड्डी देवी ने भी प्रवासियों को सहयोग का भरोसा दिलाया है।