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केदारनाथ में हुई रिकार्ड बर्फबारी से भारी नुकसान का अंदेशा Rudraprayag News

केदारनाथ में इस सीजन हुई रिकार्ड बर्फबारी से धाम में भारी नुकसान का अंदेशा है। बीते सीजन भी बर्फबारी से केदारनाथ और लिनचोली में करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 10:45 AM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 08:42 PM (IST)
केदारनाथ में हुई रिकार्ड बर्फबारी से भारी नुकसान का अंदेशा Rudraprayag News
केदारनाथ में हुई रिकार्ड बर्फबारी से भारी नुकसान का अंदेशा Rudraprayag News

रुद्रप्रयाग, जेएनएन। केदारनाथ में इस सीजन हुई रिकार्ड बर्फबारी से धाम में भारी नुकसान का अंदेशा है। बीते सीजन भी बर्फबारी के चलते केदारनाथ और लिनचोली में करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था। लेकिन, इस बार बीते वर्ष से अधिक बर्फबारी हुई है, जिससे नुकसान भी ज्यादा होने का अंदेशा है।

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केदारनाथ में इस बार बर्फबारी ने 40 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। 80 के दशक के बाद इस बार इतनी अधिक बर्फबारी हुई है। साथ इस सीजन लिनचोली और केदारनाथ के बीच छह स्थानों पर 20 फीट से अधिक बर्फ जम गई है। वहीं केदारनाथ मंदिर परिसर के आसपास नौ फीट से अधिक बर्फ जमी हुई है।

वहीं नवंबर से शुरू हुई बर्फबारी का सिलसिला फरवरी में भी जारी है। रुद्रप्रयाग डीएम मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि बीती दिसंबर में ही केदारनाथ को जाने वाली विद्युत लाइन बर्फबारी के चलते क्षतिग्रस्त हो गई थी और दूरसंचार सेवा भी ठप पड़ गई थी। इसके बाद लगातार बर्फबारी हो रही है। अधिक बर्फबारी से ग्लेशियरों के टूटने का खतरा भी बढ़ जाता है। हालांकि स्थिति मई में ही साफ हो पाएगी।

वहीं आपदा के बाद से ही केदारनाथ धाम में निर्माण कार्य का जिम्मा संभालने वाली वुडस्टोन कंस्ट्रक्शन कंपनी के केदारनाथ प्रभारी मनोज सेमवाल बताते हैं कि इस सीजन केदारनाथ में सरकारी संपत्तियों व स्थानीय लोगों के घरों को भी भारी नुकसान का अंदेशा बढ़ गया है।

 

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पिछले सीजन भी हुआ था भारी नुकसान

बीते सीजन में केदारनाथ धाम में गढ़वाल मंडल विकास निगम को भारी नुकसान पहुंचा था। लिनचोली में 17 कॉटेज ग्लेश्यिरों के टूटने से क्षतिग्रस्त हो गए थे। पैदल मार्ग को भी ग्लेशियर वाले स्थानों पर भारी नुकसान पहुंचा था। केदारनाथ में पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हो गई थी। धाम में छह कॉटेज को भारी नुकसान पहुंचा था। जबकि, जीएमवीएन का डायङ्क्षनग रूम पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके चलते प्रशासन को यात्रा व्यवस्था बनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। वहीं बीते वर्ष ग्लेशियर टूटने से तीन लोगों की पैदल मार्ग पर दर्दनाक मौत हो गई थी।

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