पांच सितारा संस्कृति नहीं, अपनी जड़ों को करें मजबूत
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जागरण संवाददाता, नई टिहरी: उत्तराखंड इन्वेस्टर समिट में पहुंचे पोलैंड में भारत के पूर्व राजदूत एवं योग विशेषज्ञ चंद्रमोहन भंडारी ने कहा कि प्रदेश का विकास पांच सितारा संस्कृति (फाइव स्टार कल्चर) को बढ़ावा देने से नहीं, बल्कि अपनी जड़ों को मजबूत करने से होगा। कहा कि हमारी जड़ें महानगरों में नहीं, गांव और वहां की संस्कृति में हैं। हमें आगे बढ़ने के लिए उन्हीं की ओर लौटना होगा।
भंडारी ने कहा कि अगर हम सचमुच उत्तराखंड का विकास करना चाहते हैं तो हमें हर गांव को आयुष केंद्र बनाना होगा। गांव और पहाड़ की संस्कृति को देश-दुनिया में पहुंचाकर ही उत्तराखंड सही मायने में आगे बढ़ेगा। एडवेंचर विशेषज्ञ प्रणव कुकरेती ने कहा कि एडवेंचर उत्तराखंड के खून में रचा-बसा है। पहाड़ में रहने वाले लोग हर दिन एडवेंचर करते हैं, क्योंकि वह उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। अगर इसे व्यवस्थित किया जाए तो उत्तराखंड देश का सर्वश्रेष्ठ एडवेंचर हब बन सकता है।
विदित हो कि पोलैंड में भारत के पूर्व राजदूत भंडारी वर्तमान में अपने गांव मवड़ा (रानीखेत) स्थित देवांबर आरोग्य धाम आश्रम में योग केंद्र संचालित कर रहे हैं। मवड़ा रानीखेत से दस किमी दूर है। साथ ही उनका एक योग प्रशिक्षण केंद्र पोलैंड में भी है। लेकिन, सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने गांव लौटकर योग के क्षेत्र में काम करने का मन बनाया और वहां कई असाध्य रोगों से पीड़ित लोगों को योग के माध्यम से स्वस्थ करने का काम कर रहे हैं।
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टिहरी झील दे सकती है हर साल 15 करोड़
समिट में आए पैराग्लाइ¨डग विशेषज्ञ शुभांग रतूड़ी ने कहा कि एशिया में टिहरी झील पैराग्लाइ¨डग के लिए सबसे बेहतरीन साइट है। लेकिन, यहां पर पैराग्लाइ¨डग विकास के लिए कुछ नहीं किया जा रहा। अगर यहां पर पैराग्लाइ¨डग को प्रमोट किया जाए तो हर साल 15 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश में सौ परिवारों वाले भीड़ गांव का उदाहरण देते हुए रतूड़ी ने बताया कि इस गांव के लोग एक साल में पैराग्लाइ¨डग से ही लगभग 25 करोड़ रुपये का राजस्व कमाते हैं। अगर टिहरी झील में भी सुविधा दी जाएं तो यहां के युवा इस क्षेत्र में बेहतर काम कर सकते हैं।
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लोगों ने रखी समस्याएं
एडवोकेट ज्योति प्रसाद भट्ट ने कहा कि लोग अपना उद्योग शुरू करना चाहते हैं, लेकिन बैंक ऐसी शर्ते रखते हैं, जिन्हें आसानी से कोई पूरा नहीं कर पाता। यही वजह है कि गांवों में बेरोजगार युवा अपना काम शुरू नहीं कर पा रहे। उन्होंने पर्यटन सचिव से बैंकों को आसानी से ऋण देने संबंधी निर्देश देने की मांग की। राड्स संस्था के अध्यक्ष सुशील बहुगुणा ने कहा कि ईको पार्क बनाने से पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा। अगर सरकार ईको पार्क बनाने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित करे तो वह स्वयं भी ईको पार्क बना सकते हैं।