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रांसी से भक्तों के जयकारों के साथ शुरू मनणी जात

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: सिद्धपीठ मां भगवती राकेश्वरी मंदिर रांसी से मां मनणीमाई की छह दिवस

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 03:01 AM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 03:01 AM (IST)
रांसी से भक्तों के जयकारों  के साथ शुरू मनणी जात
रांसी से भक्तों के जयकारों के साथ शुरू मनणी जात

संवाद सहयोगी, रुद्रप्रयाग: सिद्धपीठ मां भगवती राकेश्वरी मंदिर रांसी से मां मनणीमाई की छह दिवसीय जात यात्रा का शुभारंभ हो गया है। शुक्रवार का मा मनणी मां के मूर्ति की विशेष पूजा-अर्चना एवं भक्तों के जयकारों के साथ यात्रा ने उच्च हिमालय स्थित मनणी बुग्याल के लिए प्रस्थान किया। इस कठिन यात्रा के प्रथम पड़ाव के लिए भक्तों की टोली पटुडी पहुंची। 22 जुलाई को यात्रा मनणी धाम पहुंचेगी।

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ऊखीमठ ब्लॉक के अंतर्गत रांसी से 32 किमी उत्तर दिशा की ओर उच्च हिमालय में मां मनणी धाम स्थित है। शुक्रवार को पुजारी मानवेंद्र भट्ट ने सुबह सात बजे रांसी मंदिर में मां मनणी माई की भोगमूर्ति की सर्वप्रथम पूजा-अर्चना कर भोग लगाया। बाद में भोग मूर्ति को कंडी में सजाया गया। श्रद्धालुओं ने मां मनणी के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। जैसे ही यात्रा मनणी बुग्याल के लिए रवाना हुई, वैसे ही भक्तों के जयकारों से क्षेत्र का पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। मां मनणी की यह जात प्रतिवर्ष श्रावस मास के प्रथम सप्ताह में होती है। इस जात में तीन दिन जाने व तीन दिन आने में लगते हैं। यात्रा 21 जुलाई को दनरासी और 22 जुलाई को यात्रा के मनणी बुग्याल पहुंचेगी। यहां मां मनणी की भव्य पूजा-अर्चना के बाद देवी की मूर्ति को ब्रह्मा कमलों से ढका जाएगा। इसी दिन यात्रा वापस रांसी के लिए प्रस्थान करेगी। रास्तों में विभिन्न तरह के बुग्याल, मनमोहक दृश्य, शिला समुद्र एवं विनायकधार के दर्शन भी होते हैं। श्रावण मास की आमावस्या को यहां जड़ी-बुटियां प्रकाशमान होती दिखाई देती हैं। इस अवसर पर शिवू धिरवाण, अंशु पंवार, राजेंद्र भट्ट, रविंद्र भट्ट, इ्रश्वरी प्रसाद समेत कई भक्तजन उपस्थित थे। यह है पौराणिक मान्यता

प्राचीन काल में देवताओं और दानवों के मध्य भयंकर युद्ध हुआ। इसमें देवता पराजित हुए तथा इंद्रलोक पर महिषासुर का राज हो गया। समस्त देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु व शंकर के पास गए तथा सुरक्षा की मांग की। ब्रह्मा, विष्णु और महेश के शरीर से तेजपुंज निकले और देवी प्रकट हुई। इसी देवी ने मनणी नाम स्थान पर महिषासुर का वध किया तथा इसका नाम मनणा देवी पड़ गया।


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