पति की मौत के 24 दिन बाद सदमे में पत्नी जानकी ने तोड़ा दम
पिथौरागढ़ में 24 दिन पूर्व हादसे में पति की मौत के बाद सदमे से बीमार पत्नी जानकी ने भी दम तोड़ दिया।
पिथौरागढ़, जेएनएन : रोज मेहनत-मजदूरी कर परिवार पालने वाले कमाऊ सदस्य की मौत के बाद गरीब परिवार पर किस तरह की विपदा टूटती है इसका जीता जागता उदाहरण मृतक महेंद्र कुमार का परिवार है। 24 दिन बाद सदमे से बीमार उसकी पत्नी जानकी ने भी शनिवार रात अस्पताल में दम तोड़ दिया। उनके दो बच्चे अनाथ हो चुके हैं। जिन्हें दो कौर कमा कर खिलाने वाला इस दुनिया में अब कोई नहीं रहा।
जौल्याड़ निवासी महेंद्र राम मेहनत मजदूरी करता था। उसकी मजदूरी से ही पूरा परिवार पलता था। गांव में मजदूरी का कोई माध्यम नहीं होने से महेंद्र बलुवाकोट कस्बे में मजदूरी करता था और माह में मुश्किल से आठ-दस दिन मजदूरी मिलती थी। उसके दो बच्चे मनोज कक्षा दस और मनीष कक्षा आठ में पढ़ते हैं।
आज से चौबीस दिन पूर्व महेंद्र कुमार अपने साथी के साथ उसकी कार में पिथौरागढ़ आया। पिथौरागढ़ से देर सायं जब कार से वापस बलुवाकोट जा रहा था तो सतगढ़ के पास कार खाई में गिर गई। दोनों के घर नहीं लौटने पर परिजनों द्वारा जब इसकी सूचना पुलिस को दी तो पुलिस ने हाईवे पर सर्च अभियान चलाया। सतगढ़ के पास कार छह सौ मीटर गहरी खाई में मिली, महेंद्र कुमार और उसके साथ के दूसरे व्यक्ति के शव मिले। इस सूचना से मृतक महेंद्र की पत्नी जानकी को गहरा सदमा पहुंचा।
जानकी की हालत खराब होने पर उसके देवर सहित गांव लोग उसे तीन दिन पूर्व जिला अस्पताल पिथौरागढ़ लाए। जहां चिकित्सकों ने उसका चेकअप करने के बाद उसे हायर सेंटर हल्द्वानी के लिए संस्तुति की। गरीब के पास हल्द्वानी जाने के लिए पैसा नहीं होने से सब कुछ नियति पर निर्भर हो गया। पति के वियोग से सदमे में पहुंची जानकी 29 वर्ष ने भी शनिवार रात अस्पताल में दम तोड़ दिया। एक माह के भीतर माता और पिता को खो चुके दोनों बच्चे गुमशुम है।
क्षेत्र से समाज सेवी पूर्व सैनिक चंचल सिंह ऐरी ने जिलाधिकारी से दोनों अनाथ बच्चों के भविष्य को देखते हुए बच्चों की पढ़ाई और उनकी परवरिश के लिए मदद की गुहार लगाई है।