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हमारे जीवन को बचाओ, अन्यत्र बसाओ

संवाद सूत्र नाचनी (पिथौरागढ़) छह सितंबर को बादल फटने से आई आपदा से तहस नहस हो चुके तल्ला ज

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 11:06 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 11:06 PM (IST)
हमारे जीवन को बचाओ, अन्यत्र बसाओ
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संवाद सूत्र, नाचनी (पिथौरागढ़): छह सितंबर को बादल फटने से आई आपदा से तहस नहस हो चुके तल्ला जोहार के तल्ला भैंस्कोट के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज कर विस्थापन की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा है कि उनके जीवन को बचाने के लिए अब केवल विस्थापन ही एकमात्र विकल्प रह चुका है।

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छह सितंबर की आपदा ने तल्ला भैंस्कोट गांव में तबाही मचा दी थी। तीन मकान ध्वस्त हो गए थे। दो दर्जन जानवर मर गए थे। गांव के अन्य सभी मकानों दरारें आ गई हैं। गांव के पीछे खड़ी पहाड़ी से लगातार भूकटाव हो रहा है। हल्का मौसम खराब होने पर ग्रामीण रात प्राथमिक विद्यालय भवन और धर्मशाला में गुजार रहे हैं। गांव को जोड़ने वाली सात आरसीसी पुलिया बह गई हैं। तीन पेयजल योजनाओं का नामोनिशान नहीं है, चार किमी आंतरिक मार्ग, पांच सिंचाई गूल, कई नाली कृषि भूमि मय बाग, बगीचे और खेती सहित बह चुके हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में एक रात्रि भी बिताना मुश्किल हो चुका है। गांव के 74 परिवार जैसे तैसे दिन गुजार रहे हैं। अपने पुश्तैनी गांव की बदहाली को लेकर ग्रामीण परेशान हैं साथ ही गांव के अब रहने योग्य नहीं होने का दर्द भी सता रहा है। ग्रामीणों ने कहा है कि उनके जीवन को बचाने के लिए अब केवल विस्थापन ही एकमात्र विकल्प रह चुका है।

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ज्ञापन देने 12 किमी पैदल चल कर पहुंचे ग्रामीण

- नालों में गिरे पेड़ों पर चलकर नाचनी पहुंचे ग्रामीण

नाचनी :आपदा के चलते तल्ला भैंस्कोट को जोड़ने वाले सभी मार्ग ध्वस्त हैं। ग्रामीण गांव में ही कैद होकर रह चुके हैं। शुक्रवार को मौसम ठीक रहने पर ग्रामीण 12 किमी पैदल चल कर नाचनी पहुंचे। ग्रामीण पुल बहने से नालों में गिरे पेड़ों पर चढ़ कर आवाजाही कर रहे हैं। हल्की सी चूक ग्रामीणों पर भारी पड़ सकती है। गांव के सात पुल बहने और नालों के उफान पर होने से ग्रामीण गांव से बाहर तक नहीं निकल पा रहे हैं। शुक्रवार को जान हथेली पर रख कर नाचनी पहुंचे ग्रामीणों ने सीएम के नाम का पटवारी को सौंपा। आपदा के बाद पहली बार गांव से बाहर निकले ग्रामीणों ने गांव की आपदा के बारे में बताया और कहा कि गांव के पीछे की पहाड़ी कभी भी दरक सकती है। आसमान से बूंदें गिरते ही ग्रामीण खौफ के मारे एक साथ धर्मशाला और प्रावि भवन में जाग कर रात गुजारते हैं।

ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से तल्ला भैंस्कोट और बमनगांव खालसा को बचाने के लिए अविलंब सुरक्षित स्थान पर विस्थापन की मांग की है। ज्ञापन सौंपने वालों में राजेंद्र टोलिया, लक्ष्मण वर्मा, दुर्योधन सिंह, भगत वर्मा, भूपाल सिंह, राजू, नंदन , मनोहर सिंह, बाला राम शामिल थे।


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