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जान हथेली पर रख आवाजाही कर रहे गोल्फा के ग्रामीण

आलू और राजमा उत्पादक मदकोट करगोल्फा गांव अभी भी सड़क से वंचित है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 06:08 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 06:08 PM (IST)
जान हथेली पर रख आवाजाही कर रहे गोल्फा के ग्रामीण
जान हथेली पर रख आवाजाही कर रहे गोल्फा के ग्रामीण

संवाद सूत्र, मदकोट : आलू और राजमा उत्पादक गोल्फा गांव अभी भी सड़क से वंचित है। आज भी ग्रामीण दस किमी पैदल चलने को मजबूर हैं। क्षतिग्रस्त मार्ग से ग्रामीण जान हथेली पर रखकर आवाजाही करते हैं।

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आठ हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित खूबसूरत गांव गोल्फा उपेक्षा का शिकार बना है। हालांकि गांव के लिए दो तरफ से सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। एक सड़क जौलजीबी-मदकोट मार्ग पर सेराघाट के पास से फर्वेकोट होते हुए निर्माणाधीन है तो दूसरी बल्थी के पास से काटी जा रही है। फर्वेकोट से आगे दो, तीन किमी मार्ग काटा गया है। वहीं बल्थी की तरफ से मार्ग पर नदी-नालों में पुल नहीं बनाए गए हैं। विगत वर्षो से काटी गई आधी अधूरी सड़क ने गांव पहुंचने वाले पैदल मार्गो को भी नष्ट कर दिया है। मानसून काल में गांव की समस्याएं बढ़ जाती है।

गोल्फा गांव आलू और राजमा उत्पादक गांव है। फर्वेकोट की पहाड़ी में स्थित इस अंतिम गांव में उत्पादित आलू और राजमा अपने स्वाद के लिए चर्चित है। परंतु ग्रामीणों के लिए उत्पाद बाजार तक पहुंचाना मुश्किल हो जता है। घोड़े, खच्चर या भेड़ बकरियों से ढोकर उत्पाद पहुंचाते हैं। ग्रामीणों की आजीविका का मुख्य माध्यम भी आलू और राजमा है। बीते वर्ष से ग्रामीण आलू और राजमा बाजार तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं।

गांव निवासी आलू और राजमा उत्पादक एवं पूर्व प्रधान बाला सिह कोरंगा का कहना है कि गांव में ग्रामीण दो सौ क्विंटल से अधिक आलू और इतना ही राजमा उत्पादित करते हैं। दोनों की मांग काफी अधिक है परंतु उत्पाद को सड़क किनारे सेराघाट तक लाना अति दुष्कर है। सेराघाट से गोल्फा का मार्ग सीधी चढ़ाई पर है। बल्थी के रास्ते नदी,नालों में पुल तक नहीं हैं। बाला सिंह का कहना है कि सरकार गांव-गांव को सड़क से जोड़ने की बात करती है उनका गांव सात दशक बीतने के बाद भी सड़क से वंचित है। ग्रामीणों की फरियाद जनप्रतिनिधि से लेकर शासन, प्रशासन कोई नहीं सुन रहा है।


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