पिथौरागढ़ में आयोजित सेमिनार में कहा अहिसा संबंधी गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक
संवाद सहयोगी पिथौरागढ़ महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष और पिथौरागढ़ गांधी विद्या प
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष और पिथौरागढ़ गांधी विद्या पीठ के 50 वर्ष पूरे होने पर दो दिवसीय सेमीनार सोमवार को पिथौरागढ़ में शुरू हुआ। सेमीनार के पहले रोज स्वतंत्रता आंदोलन में हिदी की भूमिका और सीमांत में स्वतंत्रता आंदोलन पर चर्चा हुई।
स्थानीय उत्सव गृह में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रियभजन से शुरू हुए सेमीनार में मुख्य वक्ता डा. अशोक पंत ने महात्मा गांधी के जीवन दर्शन और उनकी कुमाऊं यात्रा की चर्चा करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता के कुमाऊं आगमन के बाद स्वतंत्रता आंदोलन चरम पर आ गया। घर-घर से महिलाएं आंदोलन के लिए आगे आने लगी। महिलाओं ने पेड़ों पर चढ़कर तिरंगा फहराए। हिदी भाषा ने आंदोलन को नई धार दी। इससे अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय आंदोलनकारियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हुआ।
डा. सोनी टम्टा ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत करते हुए कह ा कि गांधी प्रगतिवादी, प्रयोजनवादी तथा मानवतावादी होने के साथ-साथ एक आध्यात्मिक व्यक्ति भी थे। उन्होंने शिक्षा में नैतिक ज्ञान के साथ-साथ बच्चों में कार्य की प्रवृत्ति को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया था। शोध छात्रा रिया जोशी ने आजादी के आंदोलन में कुमाऊं की महिलाओं के योगदान, डा.दीप चंद्र चौधरी ने कुमाऊं पर गांधी दर्शन के प्रभाव पर अपने विचार रखे। सेमीनार के द्वितीय सत्र में शारदा विदुषी की पुस्तक सिसकती धरती का विमोचन किया। सेमीनार की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डा.अशोक नेगी, मुख्य अतिथि कुमाऊं गौरव कच्चाहारी ने गांधी दर्शन पर अपनी बात रखते हुए कहा कि अहिसा का उनका विचार आज पहले से भी ज्यादा प्रासंगिक है। इससे पूर्व कार्यक्रम संयोजक ललित पंत ने अतिथियों का स्वागत किया। मानस एकेडमी की छात्राओं ने वंदना और स्वागत गीत प्रस्तुत किए। संचालन विप्लव भट्ट ने किया।