अपने अखरोट की प्रजाति पर भरोसा
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: कश्मीर और हिमाचल से मंगाए गए अखरोट के पौध का भी कोई सार्थक
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: कश्मीर और हिमाचल से मंगाए गए अखरोट के पौध का भी कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आने पर अब उद्यान विभाग ने राज्य में ही विकसित प्रजाति को ही आगे बढ़ाने का फैसला किया है। शीतकाल में प्रदेश के पर्वतीय जनपदों में अखरोट के पौध लगाए जाएंगे।
राज्य के पर्वतीय जनपदों में अखरोट उत्पादन की अच्छी संभावनाएं हैं। पूर्व में पिथौरागढ़ जनपद में अच्छी तादाद में अखरोट का उत्पादन होता था, लेकिन समुचित ध्यान नहीं दिए जाने पर अखरोट का उत्पादन लगभग खत्म हो गया। इसके बाद हिमाचल और कश्मीर से अखरोट के पौध मंगाकर प्रयोग किए गए, लेकिन इनके भी कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आए। बहुतायत में अखरोट पैदा करने वाले हिमाचल और कश्मीर की प्रजाति उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में क्यों सफल नहीं हुई इसका कोई कारण भी सामने नहीं आया।
प्रदेश के उद्यान विभाग ने एक बार फिर उत्तराखंड की प्रजाति पर ही भरोसा जताने का निर्णय लिया है। विभाग ने अपनी नर्सरियों में तैयार अखरोट की पौध व्यापक रू प में पहाड़ के उद्यानों में लगाने का निर्णय लिया है। -नर्सरियों में अखरोट की पौध तैयार है। शीतकालीन वर्षा होने के बाद पौधरोपण अभियान शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि राज्य में विकसित प्रजाति कागजी है और इसके शतप्रतिशत कागजी होने के प्रयोग सफल हो चुके हैं।
डॉ.मीनाक्षी जोशी डीएचओ, पिथौरागढ़।