बेपटरी यातायात, जूझे लोग
संवाद सहयोगी पिथौरागढ़ एक कहावत है जब सैया भये कोतवाल तो डर काहे का। ऐसा ही मामला शु
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : एक कहावत है जब सैया भये कोतवाल तो डर काहे का। ऐसा ही मामला शुक्रवार को सीमांत जिला मुख्यालय में देखने को मिला। जब सत्ताधारी दल की हनक के आगे पुलिस अधीक्षक भी लाचार दिखे। दरअसल सत्ताधारी दल के नेताओं के वाहन नो पार्किंग जोन में खड़े थे। इससे नगर की यातायात व्यवस्था पटरी से उतर गई। लोगों को लंबे जाम से जूझना पड़ा। जाम में खुद पुलिस अधीक्षक का वाहन भी खड़ा था, मगर कोई भी पुलिसकर्मी नो पार्किंग में खड़े वाहनों का चालान तो दूर उन्हें हटवाने की हिम्मत तक नहीं जुटा सका।
शुक्रवार को नगर के टकाना क्षेत्र के एक बरातघर में सत्ताधारी दल के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों व स्थानीय कार्यकर्ताओं की बैठक थी। बैठक में पहुंचे दल के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने अपने वाहन नो पार्किंग जोन में खड़े किए थे।आधा दर्जन से अधिक चौपहिया वाहन नो पार्किंग जोन में खड़े थे। इनमें नेताजी की सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों के वाहन भी शामिल रहे। इससे नगर की यातायात व्यवस्था पटरी से उतरने लगी। पहले से ही संकरी इस सड़क में दोनों ओर वाहन होने से दोपहर एक बजे से अपराह्न तीन बजे तक वाहनों का लंबा जाम लग गया। देखते ही देखते टकाना क्षेत्र से अप्टैक तिराहे व केएमओयू स्टेशन की ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। इस बीच कार्यालय की ओर जा रहे जिले के पुलिस अधीक्षक का वाहन भी गुप्ता तिराहे के पास जाम में फंस गया। इसके अलावा सीपीयू कर्मी भी खुद जाम में फंस गए। हालांकि सीपीयू कर्मियों व यातायात कर्मियों ने जाम को खुलवाने की कोशिश की, मगर वह नो पार्किंग में खड़े सत्ताधारी दल के वाहनों का चालान करने की हिम्मत नहीं जुटा सके। जबकि सीपीयू कर्मियों की ड्यूटी नो पार्किंग में खड़े वाहनों का चालान करने और यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने की है। जाम के चलते स्कूली वाहन और आम जनता को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। पुलिस की इस कार्यप्रणाली पर तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं।
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वर्जन
शासन के निर्देशानुसार वीवीआइपी सुरक्षा श्रेणी की जो लिस्ट बनी है, उनका नगर में आगमन हुआ था। पुलिस कर्मी नगर में लगे जाम को खुलवाने में पूरी तरह से मुस्तैद रहे।
आरसी राजगुरू , पुलिस अधीक्षक।