पहाड़ के चालक सीट बैल्ट को नहीं लेते गंभीरता से
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: मैदानी क्षेत्रों में कार चालक और सवार सीट बैल्ट का महत्व बखूबी समझते
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: मैदानी क्षेत्रों में कार चालक और सवार सीट बैल्ट का महत्व बखूबी समझते हैं, लेकिन पहाड़ के लोग अक्सर इस महत्वपूर्ण सुरक्षा व्यवस्था को गंभीरता से नहीं लेते। जिसके चलते कार दुर्घटनाओं में हताहतों की तादात ज्यादा रहती है।
यात्रा के दौरान आकस्मिक स्थिति में कार चालक और सवार का संतुलन न गड़बड़ाए इसके लिए कार में सीट बैल्ट की व्यवस्था दी जाती है, लेकिन पहाड़ में चलने वाले चालक और कार में सवारी करने वाले लोग शायद ही कभी सीट बैल्ट खोलते हो। यातायात पुलिस भी अक्सर इस मामले में उदासीनता रवैया ही रखती है। लोगों को सीट बैल्ट पहनने के लिए प्रेरित ही नहीं किया जाता। अक्सर छोटे बच्चों को कार की अगली सीट पर नहीं बैठाने के नियम का भी कोई पालन पहाड़ों में होता नहीं दिखता। छोटे-छोटे बच्चे कारों की अगली सीटों पर ही सवार दिखते हैं। अभिभावकों भी इस मामले में उदासीन ही रहते हैं। बच्चों की जिद के आगे वे हार मान लेते हैं, जबकि बच्चों को बचपन से ही यातायात नियमों को गंभीरता से सिखाए जाने की जरू रत है ताकि वे उनकी आदत में शुमार रहे और वे कहीं भी यातायात नियमों का पालन न करें।
हेलमेट के मामले में भी रवैया अक्सर काम चलाऊ ही रहता है। पर्वतीय जिलों में अब दुपहिया वाहन में सवार होने वाले दोनों लोगों के लिए हेलमेट अनिवार्य कर दिया गया है। लोग हेलमेट पहन रहे हैं, लेकिन अक्सर इनकी गुणवत्ता को नजर अंदाज कर देते हैं। आईएसएस मार्का की जगह सामान्य फुटपाथ पर बिकने वाले हेलमेट यातायात पुलिस से बचने के लिए पहने जा रहे हैं। कई दुपहिया वाहन चालक तो पूरे हेलमेट की जगह टोपीनुमा हेलमेट ही पहने दिखाई देते हैं। आइएसआइ हेलमेट के फायदे
1. दुर्घटना की स्थिति में आघात सहने की क्षमता
2. चट्टान आदि से टकराने की स्थिति में सिर का बचाव
3. आक्सीजन की सामान्य ढंग से आपूर्ति
4. सिर के साथ ही चेहरे, आंखों आदि के बचाव के इंतजाम
पर्वतीय क्षेत्र के कार चालकों और उसमें सवार लोगों को सीट बैल्ट पहनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। समय-समय पर इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं। लंबी यात्रा पर जाने वाले वाहनों की बैरियरों में जांच की जा रही है।
-दरबान सिंह, टीएसआइ, पिथौरागढ़