जैविक उत्पादों से किसानों की आय बढ़ाने में सेतु बने हैं सुनील
राजेंद्र कठायत बेरीनाग बाजार में हाइब्रीड शाक सब्जी सहित अन्य उत्पादों को पहाड़ी जैविक उत्पाद
राजेंद्र कठायत, बेरीनाग:
बाजार में हाइब्रीड शाक, सब्जी सहित अन्य उत्पादों को पहाड़ी जैविक उत्पाद जबरदस्त चुनौती देने लगे हैं। पहाड़ी जैविक उत्पादों को मिल रहे बाजार को देखते आने वाले समय में बाजार में पूरी तरह उनके छा जाने के आसार नजर आने लगे हैं। बेरीनाग क्षेत्र में एक युवा का प्रयास अब रंग लाता नजर आ रहा है। एक दर्जन से अधिक काश्तकार जैविक शाक, सब्जी व अन्य फसलों का उत्पादन करने लगे हैं ।
बेरीनाग में गांव का आहार नाम से संस्था चलाने वाले युवा सुनील पंत ने पर्वतीय जैविक उत्पादों को बाजार में लाकर स्थानीय काश्तकारों को लाभान्वित करने तथा जनता को भी जैविक उत्पाद मिले इसके लिए प्रयास करना प्रारंभ किया। इस संबंध में उन्होंने गांवों में जाकर लोगों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करना प्रारंभ किया। जैविक खेती के लिए अपने स्तर से लघु काश्तकारों को बीज क्रय करने के लिए आर्थिक मदद भी करते हैं। जैविक शाक, सब्जी और अन्य उत्पाद तैयार होते ही उसे उचित दामों पर खरीद कर न्यूनतम विक्रय शुल्क के साथ पभोक्ताओं तक पहुंचाने लगे।
सुनील पंत कहते हैं कि जैविक उत्पाद जहां सुपोषण है वहीं इनके उत्पादन से पहाड़ से हो रहे पलायन पर रोक लगेगी और पलायन के चलते बंजर हो रहे खेत हरे-भरे होंगे। उनका कहना है कि बाजार में मिलने वाली शाक-सब्जी, दाल व अन्य खाद्य वस्तुएं रोगों के कारक हैं। जैविक व पोषण से भरे उत्पाद जहां स्वाद में आगे रहते हैं वहीं इनमें भरपूर पोषण तत्व पाए जाते हैं।
सुनील ने अतीत में प्रसिद्ध बेरीनाग की चाय का एक बार फिर उत्पादन करना प्रारंभ कर दिया है। स्वयं चाय तैयार कर उचित दामों पर बेच रहे हैं। उनके द्वारा पर्वतीय जैविक दालों और जड़ी बूटियां का संग्रहालय भी बनाया गया है।
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इन जैविक फसलों का होने लगा है उत्पादन
राजमा, गहत, भट, सोयाबीन, मटर, हरड़, बरड़, आंवला, चाय, सिल्फोड़ा, लेमन ग्रास, मडुवा सहित विभिन्न प्रजाति की पहाड़ी शाक-सब्जियां।
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दस से बारह काश्तकार जुडे़
जैविक खेती के लिए बेरीनाग क्षेत्र के विभिन्न गांवों के दस से बारह काश्तकार जुड़ चुके हैं। जैविक खेती से जुड़े कोटेश्वर के राजेंद्र भट्ट, राई गांव निवासी रेवती जोशी, बेलकोट के गिरजा पांडेय और कोटेश्वर के जीवन भट्ट बताते हैं कि जैविक खेती से उनकी आय बढ़ती जा रही है। बाजार में जैविक उत्पाद हाथों हाथ बिक रहा है। उत्पाद की अच्छी कीमत मिल रही है।