सातू- आंठू पर्व को लेकर विवाद गहराया
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: राज्य के प्रसिद्ध पर्व सातू आंठू को लेकर पुरोहित के अलग-अलग मतों को
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: राज्य के प्रसिद्ध पर्व सातू आंठू को लेकर पुरोहित के अलग-अलग मतों को लेकर विवाद गहरा गया है। एक पक्ष इस पर्व को रक्षाबंधन से पूर्व मनाने का तर्क दे रहा है तो दूसरे पक्ष ने इसे रक्षाबंधन के बाद मनाने की गणना की है। दो अलग-अलग मत हो जाने से जनता परेशान है। दो मत हो जाने से जिला मुख्यालय में होने वाला सातू आठूं महोत्सव के प्रभावित होने की आशंका पैदा हो गई है। विवादों को देखते हुए रामलीला कमेटी ने दोनों पक्षों के पुरोहितों को अपनी विद्वता साबित करने की चुनौती दी है।
सोर घाटी के इस विशेष पर्व को लेकर पुरोहित समाज दो मतों में बंट गया है। एक मत के पुरोहित सातू आंठू पर्व को 26 अगस्त को पड़ने वाले रक्षाबंधन से पूर्व 17 एवं 18 अगस्त को मनाने का तर्क दे रहे हैं। इसका कारण वे अधिमास को बता रहे हैं। दूसरा पक्ष इसे रक्षाबंधन के बाद दो और तीन सितंबर को मनाने के पक्षधर हैं। दूसरे पक्ष के पुराहितों का कहना है कि रक्षाबंधन पर पुरुषों के जनेऊ धारण करने के बाद महिलाएं दो और तीन सिंतबर को महिलाएं दुर्वाष्टमी मनायेंगी। दो मतों के चलते जिले में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। पुरोहितों से विचार विमर्श के बाद रामलीला कमेटी ने 17 अगस्त से रामलीला मैदान में सातू-आंठू महोत्सव की तिथि भी तय कर दी है। इसके लिए व्यापक तैयारियां कर ली गई हैं। दो मत हो जाने से अब महोत्सव के आयोजक भी परेशान हैं।
रामलीला कमेटी के अध्यक्ष भूपेंद्र माहरा ने कहा कि दो मतों के चलते पैदा हुई भ्रम की स्थिति को जल्द दूर किए जाने की जरूरत है। उन्होंने दोनों पक्षों के पुरोहितों को रविवार को अपराह्न तीन बजे रामलीला मैदान में आमंत्रित किया है। उन्होंने पुरोहितों को चुनौती दी है कि वे अपने तर्क देकर स्थिति स्पष्ट करें, ताकि भ्रम की स्थिति दूर हो सके।