नेपाल के लोगों को दिया मित्रता का वास्ता, आने-जाने के लिए मांगी सड़क
मालपा में पिछले वर्ष बादल फटने की घटना के बाद से अब पिथौरागढ़ के स्थानीय लोगों ने नेपाल जाकर मित्रता का वास्ता दिया और आने-जाने के लिए दो किमी सड़क मांगी।
धारचूला, पिथौरागढ़ [जेएनएन]: मालपा में पिछले वर्ष बादल फटने की घटना के बाद से बंद कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर यातायात बहाल होने की हाल-फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है। नेपाल व भारत के स्थानीय अधिकारियों के बीच काली नदी पर दो स्थानों पर लकड़ी के अस्थाई पुल बनाकर मार्ग खोलने की सहमति का मामला भी लटक गया है। अब पिथौरागढ़ के स्थानीय लोगों ने नेपाल जाकर मित्रता का वास्ता दिया और आने-जाने के लिए दो किमी सड़क का उपयोग करने की इजाजत मांगी।
मंगलवार को नेपाल के दार्चुला जिले के जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर पिथौरागढ़ जिले के व्यास घाटी के कुटी, नाबी, रौंगकोंग, गुंजी, नपलच्यू, गब्र्यांग, बूंदी के ग्रामीणों ने कहा कि अगले माह से वह अपने मूल गांवों को लौटेंगे।
ग्रामीणों के पास विकल्प के तौर पर केवल नेपाल के रास्ते ही अपने गांवों तक पहुंच पाना संभव है। नेपाल के भी दो गांवों छांगरु और टिंकर के ग्रामीण भी माइग्रेशन में भारत के ही रास्ते जाते हैं। इसी तरह नेपाल के मित्र भी व्यापार के लिए तिब्बत भारत के रास्ते जाते हैं। इस मित्रता को देखते हुए वर्तमान में लखनपुर से नज्यांग तक दो किमी पैदल मार्ग देने का अनुरोध किया गया है।
क्या है मामला
भारत में घटियाबगड़ से चीन सीमा लिपूलेख तक सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है। बीते दिनों घटियाबगड़ से आगे लखनपुर और नज्यांग के मध्य बादल फटने की घटना में और उसके बाद बरसात में भारी भूस्खलन हो गया था, जिसमें छह सौ मीटर मार्ग नेस्तनाबूद हो गया। इस स्थान पर केवल काली नदी से नब्बे डिग्री के कोण में खड़ी चट्टान रह गई है। जिसके चलते व्यास घाटी विगत डेढ़ माह से अलग-थलग पड़ी है। इस समय व्यास के हिमाच्छादित होने से आवाजाही बंद रहती है। अगले माह ग्रामीण अपने पुश्तैनी गांवों को जाएंगे। उच्च हिमालय में आवाजाही प्रारंभ होगी। जून माह से उच्च हिमालय पूरी तरह खुल जाता है। कैलास मानसरोवर यात्रा और भारत चीन व्यापार भी शुरू हो जाता है।
विकल्प केवल नेपाल से ही संभव
व्यास घाटी में जाने के लिए विकल्प केवल नेपाल के रास्ते ही संभव है। इसे देखते हुए बीते दिनों नेपाल प्रशासन ने सहमति दी थी। भारत द्वारा लखनपुर और नज्यांग में काली नदी पर दो अस्थाई लकड़ी के वैली ब्रिज बना कर दो किमी मार्ग नेपाल से पार करने पर सहमति बनी थी। इसके लिए पुलों के प्रस्ताव भी तैयार हो गए थे। इसी बीच नेपाल के स्थानीय प्रशासन ने इस मामले को सरकार के स्तर का बताते हुए लाचारी दर्शा दी। नेपाल प्रशासन की इस लाचारी से भारत के सम्मुख संकट बना हुआ है। इधर माइग्रेशन का समय करीब आते ही ग्रामीण परेशान हैं।
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