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खेत पटोली गांव में अब मात्र दो परिवार

्रकुछ वर्षो पूर्व तक नेपाल सीमा से लगा सदर तहसील पिथौरागढ़ के खेत पटोली गांव में अब सिर्फ दो परिवार रह रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 03:34 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 03:34 PM (IST)
खेत पटोली गांव में अब मात्र दो परिवार
खेत पटोली गांव में अब मात्र दो परिवार

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : कुछ वर्षो पूर्व तक नेपाल सीमा से लगा सदर तहसील पिथौरागढ़ का सल्ला ग्राम पंचायत का तोक गांव खेत पटोली आबाद था। गांव में 22 परिवार रहते थे। खेत फसलों से लहलहाते थे। गांव में पानी भी प्रचुर मात्रा में था। घाटी वाला क्षेत्र होने से अनाज का अच्छा उत्पादन होता था। धीरे-धीरे 20 परिवारों ने गांव से पलायन कर दिया। अब गांव में केवल दो परिवार रह गए हैं। माली हालत बेहद खराब होने से दोनों परिवार गांव से बाहर नहीं जा सके।

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गांव में जीवन यापन करने के लिए प्रकृति ने तो अपनी तरफ से सब कुछ दिया था परंतु आधुनिक भारत में नेपाल सीमा से लगे इस गांव को व्यवस्था कुछ भी नहीं दे सकी। इस गांव तक सड़क तो दूर, एक अच्छा पैदल मार्ग भी नहीं मिला। अस्पताल और विद्यालय जैसी सुविधा गांव तक नहीं पहुंची। योजनाकारों की उपेक्षा का दंश ग्रामीणों को अपनी माटी से दूर ले गया।

अतीत में मक्का, धान, गेहूं, मडुवा, जौ के अलावा आम, अमरू द, पपीता, कटहल, केले की खुशबू से महकने वाले गांव में अब खंडहर में तब्दील मकानों में घास उग आई है। खेत भी बंजर पड़ चुके हैं। लाचारी में गांव में निवासरत दो परिवार अपनी बदकिस्मती पर रोते हैं। पंचेश्वर उत्त्तरायणी जन संघर्ष समिति के लोग जब सीमा पर स्थित गांवों का हाल जानने खेत पटोली पहुंचे, तब जाकर हालात जगजाहिर हुए। समिति के अध्यक्ष शमशेर चंद कहते हैं कि एक तरफ पलायन रोकने के लिए तमाम कागजी घोड़े दौडृते हैं दूसरी तरफ खेत पटोली गांव जनशून्य होने की कगार पर पहुंच जाता है।


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