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लगातार धंस रहा है मुनस्यारी का मालूपाती गांव, पैंतीस परिवार खतरे में, गांव में दहशत

पिथौरागढ़ के तहसील मुनस्यारी के मालूपाती गांव में नया खतरा मंडरा चुका है। गांव में लगातार जमीन धंस रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 05:00 AM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2020 05:00 AM (IST)
लगातार धंस रहा है मुनस्यारी का मालूपाती गांव, पैंतीस परिवार खतरे में, गांव में दहशत
लगातार धंस रहा है मुनस्यारी का मालूपाती गांव, पैंतीस परिवार खतरे में, गांव में दहशत

पिथौरागढ़/मुनस्यारी, जेएनएन : सीमांत तहसील मुनस्यारी के मालूपाती गांव में नया खतरा मंडरा चुका है। गांव धंसता जा रहा है। ग्रामीणों की माने तो 25 के भीतर गांव की जमीन लगभग तीन मीटर धंस चुकी है। हालत यह है कि गांव के कुछ मकानों में एक घर से दूसरे घर पहुंचने के लिए ग्रामीण लकड़ी की सीढ़ी बना रहे हैं। चार मकान तो जमीन धंसने से ध्वस्त हो चुके हैं। लगभग आठ मकान फिर खतरे में आ चुके हैं। गांव के सभी पैंतीस मकानों की दीवारों में दरार पड़ चुकी है। दरार चौड़ी होती जा रही हैं।

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मुनस्यारी तहसील मुख्यालय से लगभग छह किमी दूर स्थित है हरकोट ग्राम पंचायत। इस ग्राम पंचायत के अंतर्गत चार गांव आते हैं जिसमें हरकोट, मालूपाती, मटेना और रीठा। मालूपाती गांव पूरी तरह खतरे में आ चुका है। गांव के पैंतीस परिवार दहशत में हैं। पटवारी एक बार आकर गांव का निरीक्षण कर चुके है। ग्रामीण लगातार गांव की रिपोर्ट तहसील प्रशासन को दे रहे हैं। अभी तक प्रशासन के किसी अधिकारी द्वारा गांव का निरीक्षण नहीं किया गया है। भूमि धंसने से गांव के आठ मकानों को जोड़ने वाला मार्ग तीन मीटर तक धंस चुका है। ========

चार मकान हो चुके हैं ध्वस्त गांव की भूमि के धंसने से अगस्त माह में गांव के चार मकान ध्वस्त हो चुके हैं। गोपाल गिरी, शंकर गिरी, तारा देवी सहित एक अन्य के मकान ध्वस्त हो गए। मकान अपनी जगह भूमि धंसने से बैठ गए। धंसने से टूटे मकानों में कितने कमरे थे इसका तक पता नहीं चल पा रहा है। ========= 12 अगस्त से धसने लगी थी भूमि गांव के ग्रामीण बताते हैं कि 12 अगस्त से गांव में इस तरह की हलचल हुई। 16 अगस्त को मकान ध्वस्त होने लगे। इसी के साथ गांव के कुछ लोगों द्वारा भूमि धंसने का आभास हुआ। ग्रामीणों ने इसके लिए धंस रहे स्थलों पर जमीन के अंदर लकड़ी गाड़ दी । लकड़ी में प्रति इंच की नाप के निशान बनाए। 12 अगस्त को जमीन दो इंच धंसी मिली। इस प्रक्रिया को करने वाले गांव के भूपेंद्र सिंह बताते हैं कि बाद में जमीन धंसने से लकड़ी से मापना संभव नहीं था । गांव में एक घर से दूसरे घर जाने के लिए बनाई गई लकड़ी की सीढ़ी के नीचे जमीन खोद कर उसमें छह इंच और चार इंच के ब्लॉक (ईंट) लगाई। प्रतिदिन दो के इंच के आसपास र्इंट जमीन में धंस रही है जिस दिन बारिश अधिक होती है उस दिन ईंट से तीन से चार इंच तक धंसती है। वह बताते हैं कि 25 दिनों में कटाव वाले क्षेत्रों में तीन मीटर के आसपास भूमि धंस चुकी है। =========

खतरे में आ चुके मकान इस समय स्लाइड वाले क्षेत्र में आठ मकान खतरे में आ चुके हैं। जिसमें कुंदन ंिसह के दो मकान, कौशल्या देवी, तारा देवी, कुंवर सिंह, उत्तम सिंह, बाला सिंह और गिरधर सिंह के मकान हैं। इन मकानों से ही होकर गांव के अन्य मकानों तक पहुंचा जा सकता है। भूमि धंसने से चलने के लिए लकड़ी की सीढ़ी बनानी पड़ रही है। ========= डीएम ने कार्रवाई का दिया है आश्वासन : मर्तोलिया जिपं सदस्य जगत मर्तोलिया ने बताया कि इस संबंध में जिलाधिकारी डॉ. वीके जोगदंडे से वार्ता हो चुकी है। उन्होंने गांव की भूगर्भीय सर्वे कराने के बाद आगे की कार्यवाही का आश्वासन दिया है। भू वैज्ञानिक प्रदीप कुमार दस अगस्त को गांव की भूगर्भीय सर्वे करने मालूपाती जा रहे हैं। जिलाधिकारी ने भूगर्भीय जांच के बाद पुनर्वास की प्रक्रिया का भरोसा दिलाया है।


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