मतदान करने व्यास घाटी के ग्रामीणों का तलहटी में आ पाना संभव नहीं
संवाद सूत्र धारचूला उच्च हिमालयी व्यास घाटी के सात गांवों के ग्रामीणों का पंचायती चुनाव में मत
संवाद सूत्र, धारचूला: उच्च हिमालयी व्यास घाटी के सात गांवों के ग्रामीणों का पंचायती चुनाव में मतदान के लिए धारचूला आ पाना कठिन नजर आ रहा है। ग्रामीणों ने राज्य निर्वाचन आयोग से उनके मतदान केंद्र उच्च हिमालयी गांवों में ही बनाए जाने की मांग की है।
धारचूला व मुनस्यारी के उच्च हिमालयी गांवों में पंचायती चुनाव के लिए मतदान एक समस्या बनी थी। इस बार चुनाव ऐसे वक्त हो रहे हैं जब उच्च हिमालय के सभी ग्रामीण माइग्रेशन कर अपने तलहटी वाले गांवों तक नहीं पहुंच सकेंगे। अमूमन माइग्रेशन मध्य अक्टूबर तक होता है। जानवरों और पूरे परिवार के साथ माइग्रेशन में ग्रामीणों पांच से दस दिन का लग जाता है। मतदान तिथि तक सभी ग्रामीणों का तलहटी के गांवों तक पहुंच पाना संभव नहीं है। जोहार घाटी से सबसे पहले माइग्रेशन होता है। यहां के ग्रामीणों के मतदान तिथि तक तलहटी तक पहुंचने की संभावना है।
धारचूला के दारमा घाटी में तिदांग तक सड़क बन चुकी है। दारमा के ग्रामीण मतदान के लिए वाहनों से तलहटी में जौलजीवी से लेकर गोठी व गलाती तक आ सकते हैं। सबसे बड़ी समस्या व्यास घाटी के सात गांवों की है। कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में स्थित व्यास घाटी का मार्ग खराब है। इस घाटी के ग्रामीण नवंबर माह में माइग्रेशन करते हैं। व्यास घाटी के सभी गांवों से मतदान के लिए तलहटी वाले गांवों में आने के लिए दो से तीन दिन का समय लगता है। माइग्रेशन नहीं होने के कारण ग्रामीणों को वापस अपने गांवों को जाना पड़ेगा। ऐसे में केवल मतदान के लिए आने जाने में उनके चार से छह दिन का समय लगेगा।
जिसे देखते हुए व्यास घाटी के ग्रामीणों ने कहा है कि व्यास घाटी के बूंदी, गब्र्यांग, गुंजी, नाबी, नपलच्यु, रोंगकोंग और कुटी के ग्रामीणों के लिए उच्च हिमालयी गांवों में ही मतदान की व्यवस्था की जाए। इन गांवों के जो लोग धारचूला सहित आसपास रहते हैं वे धारचूला और जो अपने गांवों में हैं उनके मतदान की व्यवस्था गांवों में ही की जाए। इसके लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि बूंदी, गब्र्याग के ग्रामीण एक स्थान पर गुंजी, नपलच्यु मे ग्रामीण एक मतदेय स्थल , नाबी और रोंगकोंग के ग्रामीण एक मतदेय स्थल और अंतिम गांव कुटी के ग्रामीण कुटी में मतदान करने को तैयार हैं। साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यदि सरकार ऐसी व्यवस्था नहीं कर सकती है तो इस दौरान निश्शुल्क हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध कराए ताकि ग्रामीण धारचूला आकर वापस गांवों को लौट सके।