खास हारे तो आम मार ले गए बाजी
पिथौरागढ़ पंचायती चुनावों के परिणाम खुद को नेता मानते हुए खास बनने वालों को सबक सिखा
पिथौरागढ़ : पंचायती चुनावों के परिणाम खुद को नेता मानते हुए खास बनने वालों को सबक सिखा गए। साथ ही जनता के बीच पैठ नहीं होने के बाद भी खुद को नेता मानने वालों को उनकी पहचान करा कर गए। खास माने जाने वाले कई नेताओं को इस चुनाव में मुंह की खानी पड़ी तो आम माने जाने वाले लोग बाजी मार गए। भाजपा, कांग्रेस में जिला स्तर पर बड़े पदाधिकारी रह चुके नेता चुनावों में अपने ही गांवों में राजित हो गए। प्रमुख रू प से पराजित होने वालों में धारचूला में कांग्रेस की महिला जिलाध्यक्ष नंदा बिष्ट प्रधान का चुनाव हार गई। तो विकास खंड मूनाकोट में भाजपा के कई पदों पर रह चुके मनोज भट्ट क्षेपंस पद पर चुनाव हार गए। विधायक विशन सिंह चुफाल की पुत्री दीपिका चुफाल चुनाव हार गई। इसके अलावा अन्य कई स्थानीय स्तर पर बड़े कहे जाने वाले नेता भी चुनाव में कुछ नहीं कर सके। वहीं जनता ने ग्राम प्रधान पद पर आम माने जाने वाले अधिकांश लोगों को गांव की सरकार चलाने का जनादेश दिया ।
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गांव छोड़ कर बाहर रहने वालों को भी नकारा
पिथौरागढ़ : पंचायती चुनावों में पहली बार गांव छोड़ कर कस्बों, नगरों में रह कर गांव की राजनीति में हस्तक्षेप करने वालों को भी ग्रामीणों ने सबक सिखाया है। बड़े अरमानों के साथ गांवों की तकदीर और तस्वीर बदलने का नारा लेकर गांव की राजनीति करने का सपना देकर सीजनल ग्रामीण बने प्रत्याशी ग्रामीणों को रास नहीं आए। कुछ अपवादों को छोड़ कर ग्रामीणों ने गांव में रहने वालों को जीत का सेहरा पहनाया। अपने निर्णय से ऐसे लोगों को गांव में ही रह कर गांव की राजनीति करने का संकेत दिया है। साथ ही यह भी संदेश दिया है कि बाहर रह कर गांव के विकास के विकास की बात करना बेमानी है। ग्रामीणों ने केवल उसी को स्वीकार जो बाहर से गांव में बसने आया हो।