जिला अस्पताल से रेफर महिला ने 108 में दिया बच्चे को जन्म
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : महिला चिकित्सालय की मनमानी एक बार फिर सामने आई है। महिला चिकित्साल
संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़ : महिला चिकित्सालय की मनमानी एक बार फिर सामने आई है। महिला चिकित्सालय से रेफर की गई महिला ने 108 एंबुलेंस में ही बच्चे को जन्म दे दिया। महिला को जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है।
जिले की बेरीनाग तहसील के दूरस्थ गांव दशौली निवासी रामीराम अपनी बहू सुलोचना को प्रसव के लिए आशा कार्यकर्ती धनी पाठक के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौचर लाए। यहां 36 घंटे तक भर्ती करने के बाद सुलोचना को महिला चिकित्सालय रेफर कर दिया गया। नौ दिसंबर को महिला चिकित्सालय पहुंची सुलोचना को अस्पताल स्टाफ ने भर्ती करने से ही इन्कार कर दिया। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल कर्मियों ने सुलोचना को जबरन 108 वाहन में ठूंस दिया। सायं छह बजे परिजन सुलोचना को लेकर हल्द्वानी के लिए रवाना हुए। जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर इग्यारदेवी के पास सुलोचना ने वाहन में ही बच्चे को जन्म दिया। 108 वाहन चालक ने सूझबूझ का परिचय देते हुए उसे इग्यारदेवी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां तैनात उपचारिका नीलम सिंह मदद की।
इस मामले की जानकारी मिलते ही तमाम संगठनों में आक्रोश फैल गया। उद्योग व्यापार मंडल अध्यक्ष शमशेर महर और आप पार्टी की राज्य कमेटी के सदस्य चंद्रप्रकाश पुनेड़ा ने यह मामला जिलाधिकारी के सामने रखा और महिला के साथ अमानवीय व्यवहार करने वाले कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। बता दें कुछ ही रोज पूर्व एक ऐसे ही मामले में प्रसव के बाद महिला के शिशु की मौत हो गई थी। इस मामले में हुई जांच में कई लोगों को दोषी पाया गया था, लेकिन इनके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मामले की मजिस्ट्रेटी जांच भी चल रही है।
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दो माह पूर्व बच्चे को जन्म देने वाली महिला की मौत
दो माह पूर्व प्रसव कराने वाली महिला की बरेली में उपचार के दौरान मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया है कि वंदना को 16 अक्टूबर को अस्पताल में डिलीवरी के लिए लाया गया। हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किए बगैर डिलीवरी करा दी गई, जिससे उसकी किडनी और गर्भाशय में इंफेक्शन फैल गया। 18 अक्टूबर को बगैर चेकअप के ही उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। 20 अक्टूबर को हालत बिगड़ने पर उसे पुन: अस्पताल लाया गया तो रात्रि में कोई भी डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं मिला। 21 अक्टूबर को टेस्ट कराने के बाद उसे रेफर कर दिया गया। बरेली में एक माह तक आइसीयू में रहने के बाद वंदना की मौत हो गई। परिजनों ने मामले की जांच की मांग की है।