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चीन सीमा को जोड़ने वाला दारमा मार्ग छह माह में केवल 25 दिन खुला

एक तरफ चीन सीमा पर तनातनी का माहौल बनाता रहता है। दूसरी तरफ दारमा मार्ग को खोलना चुनौती बन चुका है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Nov 2021 10:12 PM (IST)Updated: Thu, 11 Nov 2021 10:12 PM (IST)
चीन सीमा को जोड़ने वाला दारमा मार्ग छह माह में केवल 25 दिन खुला
चीन सीमा को जोड़ने वाला दारमा मार्ग छह माह में केवल 25 दिन खुला

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: एक तरफ चीन सीमा पर तनातनी का माहौल बनाता रहता है। दूसरी तरफ उत्त्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील में चीन सीमा को जोड़ने वाला सामरिक महत्व का दारमा मार्ग छह माह में केवल 20 से 25 दिन ही आवाजाही के लिए खुला। जिला प्रशासन की मार्ग खोलने की लगातार चेतावनी के बाद भी मार्ग संचालक केंद्रीय लोक निर्माण विभाग मार्ग खोल पाने में असफल साबित हो रहा है।

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मार्ग बंद होने से उच्च हिमालय में स्थित सैन्य और अ‌र्द्धसैनिक बलों की चौकियों तक खाद्य आपूर्ति के साथ ग्रामीणों का माइग्रेशन प्रभावित हो चुका है। ग्रामीणों के पालतू पशु माइनस पांच डिग्री में खुले आसमान के नीचे जी रहे हैं। जानवरों के मालिक लगातार अपने जानवरों के साथ निकालने के लिए मार्ग खोलने की मांग कर रहे हैं। व्यवस्था ऐसी है कि विगत 25 दिनों से मोटर मार्ग तो दूर पैदल मार्ग तक बना पाने में असफल साबित हो रहे हैं। बामुश्किल स्थानीय लोगों की मदद से सेला से नागलिंग तक छह किमी पैदल चलने योग्य मार्ग बना सके हैं। वहीं छिरकिला के पास एनएचपीसी बंद मार्ग को अभी तक नहीं खोल सकी है। ========== बिना सामान के लौटे हैं ग्रामीण चीन सीमा से लगे उच्च हिमालयी गांवों में रहने वाले 13 गावों के ग्रामीण अपने शीतकालीन माइग्रेशन के दौरान बिना सामान के लौटे हैं। मार्ग बंद होने और दारमा में हिमपात के बाद शासन ने ग्रामीणों को एयरलिफ्ट करने के लिए हेलीकाप्टर सेवा चलाई। ग्रामीणों को एयरलिफ्ट कर धारचूला लाया गया। इस दौरान ग्रामीण अपना सामान तक नहीं ला सके हैं। ========= पहले 118 दिन और अब 25 दिनों से बंद है मार्ग उच्च हिमालयी भूभाग साल में छह माह के खुलता है। इस अवधि में दारमा के 13 गांवों के ग्रामीण अपने गांवों में जाकर खेतीबाड़ी करते हैं। 180 दिन की अवधि में तीन बार मार्ग बंद हो चुका है। प्रारंभ में कुछ दिनों मार्ग बंद रहा। मानसून प्रारंभ होते ही लगातार 118 दिन मार्ग बंद रहा। मार्ग खुला तो 17 से 19अक्टूबर की बारिश में बंद हो गया जो अभी तक नहीं खुल सका। ग्रामीणों के साथ सेना और आइटीबीपी को भी भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। ========= पर्यटन बुरी तरह प्रभावित जिले की तीन उच्च हिमालयी घाटियों में दारमा घाटी सर्वाधिक सुंदर है। इसी घाटी में पंचाचूली ग्लेशियर पड़ता है। इस घाटी की तुलना लद्दाख से की जाती है। मोटर मार्ग बनने से पंचाचूली ग्लेशियर तक पहुंचना सरल हो गया था। जिले में सर्वाधिक पर्यटक पंचाचूली ग्लेशियर तक पहुंचने लगे। इसी घाटी में सबसे अधिक होम स्टे हैं। इस वर्ष पर्यटन बुरी तरह प्रभावित हो चुका है। होम स्टे संचालक महेश दताल का कहना है कि दारमा का पर्यटन इस बार लगभग शून्य रहा । ========= दारमा मार्ग बारिश से बुरी तरह क्षतिग्रस्त है। केंद्रीय लोनिवि की टीम मार्ग खोलने में जुटी है। विषम स्थिति के चलते यहां मार्ग खोलने में देरी हुई है। नागलिंग से सेला तक छह किमी पैदल मार्ग तैयार कर लिया गया है।

- विरेंद्र कुमार, ईई, केंद्रीय लोनिवि


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