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श्मशान घाट नदी के पानी में डूबा

जासं पिथौरागढ़/जौलजीवी नदी के कटाव के खतरे में आ रहे श्मशान घाट को बचाने के लिए कोई

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 11:33 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 06:34 AM (IST)
श्मशान घाट नदी के पानी में डूबा

जासं, पिथौरागढ़/जौलजीवी: नदी के कटाव के खतरे में आ रहे श्मशान घाट को बचाने के लिए कोई पहल नहीं होने से शेष बचा घाट काली नदी के पानी में डूब चुका है। श्मशान घाट नहीं होने से शवदाह सीढि़यों पर किया जा रहा है।

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जौलजीवी में काली नदी किनारे स्थित श्मशान घाट वर्ष 2013 की आपदा में बह गया था। इसके बाद स्थानीय लोगों द्वारा नदी किनारे स्थित भूमि को श्मशान घाट के लिए प्रयोग में लाया जाने लगा। इस दौरान जनता ने प्रशासन से श्मशान घाट को बचाने के लिए सुरक्षा दीवार निर्माण की मांग रखी। एसडीएम धारचूला और जिलाधिकारी पिथौरागढ़ के समक्ष श्मशान घाट को बचाने के लिए अनुरोध किया गया। प्रशासनिक अधिकारियों सहित सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने भी इस स्थल का निरीक्षण किया, परंतु सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए।

प्रतिवर्ष काली नदी कटाव करती रही। इस बरसात में पूरा श्मशान घाट काली नदी के जल से जलमग्न हो चुका है। चिताएं लगाने को तक जगह नहीं है। मजबूरी में नदी तक जाने वाली सीढि़यों में चिताएं लगाई जा रही हैं। जौलजीवी में प्रतिदिन दो से तीन शव जलने के लिए आते हैं। सीढ़ी को भी श्मशान घाट बना दिए जाने से शवदाह के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है। वहीं शवदाह का धुआं लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। यहां पर जौलजीवी, अस्कोट सहित अन्य स्थानों से शव दाह के लिए शव लाए जाते हैं।

============ शवदाह स्थल के नदी के कटाव से खतरे में आने की सूचना स्थानीय जनता लगातार प्रशासन को देती रही है। इसके बाद भी सुरक्षा के प्रबंध नहीं किए गए। आज पूरा श्मशान घाट डूब चुका है। जौलजीवीवासी परेशानी झेल रहे हैं। महत्वपूर्ण मामला होने के बाद भी शासन, प्रशासन द्वारा ठोस कदम नहीं उठाए जाने का परिणाम अब सामने आ चुका है। यदि अभी भी आसपास में श्मशान घाट के लिए स्थल चयन नहीं किया जाता है तो जनता सड़कों पर उतरेगी।

- धीरेंद्र धर्मशक्तू, अध्यक्ष व्यापार संघ, जौलजीवी


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