36 घंटे बाद बीएसएनएल सेवा बहाल फिर भी उपभोक्ता बेहाल
पिथौरागढ़ में बीएसएनएल की संचार सेवा 36 घंटे बाद बहाल हुई पर उपभोक्ता दिनभर परेशान रहे।
पिथौरागढ़, जेएनएन : बीएसएनएल की संचार सेवा 36 घंटे बाद बहाल हुई। सेवा बहाल होने के बावजूद इंटरनेट सेवा में दिन भर व्यवधान आते रहे, जिसके चलते उपभोक्ताओं को खासी परेशानी झेलनी पड़ी।
मंगलवार की रात अल्मोड़ा एक्सचेंज में आग लग जाने से पिथौरागढ़ जिले में बीएसएनएल की संचार सेवा ठप हो गई थी। बुधवार को पूरे दिन संचार सेवा बाधित रही। सेवा ठप हो जाने से बीएसएनएल के उपभोक्ताओं को खासी परेशानी झेलनी पड़ी। गुरुवार को सुबह नौ बजे संचार सेवा बहाल हुई। सेवा बहाल होने के बाद जहां मोबाइल पर बातचीत शुरू हो गई वहीं इंटरनेट सेवा में दिन भर रुक-रुक कर व्यवधान आता रहा। जिसके चलते गुरुवार को भी लोग परेशान रहे।
========== नेपाल सीमा से जुड़े क्षेत्र में पड़ा सर्वाधिक असर पिथौरागढ़: बीएसएनल सेवा में आए व्यवधान का सर्वाधिक असर भारत नेपाल सीमा पर रहने वाले उपभोक्ताओं पर पड़ा। झूलाघाट, पीपली, जौलजीवी, बलुवाकोट, धारचूला तक संचार सेवा देने वाली बीएसएनएल एकमात्र कंपनी है। इस क्षेत्र में किसी अन्य संचार कंपनी को सेवा देने की अनुमति नहीं मिली है। जिसके चलते 50 हजार से अधिक की आबादी बीएसएनएल की सेवाओं पर ही निर्भर है। इस क्षेत्र के तमाम युवा सेना में विभिन्न बार्डर पर तैनात हैं। पिछले दो दिनों से वे अपने घरों से सम्पर्क नहीं कर पा रहे थे। जरू री संदेशों का आदान प्रदान करने के लिए लोगों को नेपाली सिम का उपयोग करना पड़ा। ========== नेपाली कंपनियों की पौ बारह पिथौरागढ़: सीमा क्षेत्र में भारत की निजी संचार कंपनियों की सेवाएं नहीं है। इस क्षेत्र में नेपाल की नमस्ते और स्काई संचार कंपनियों के सिग्नल आते हैं। मजबूरी में लोग नेपाली सिम खरीद कर अपने संदेशों का आदान प्रदान करते हैं। हालांकि नेपाली कंपनियों की सेवाएं बेहद महंगी है। नेपाली संचार कंपनियों से एक मिनट पर बातचीत करने का खर्चा चार रुपये से अधिक आता है। ये पूरा राजस्व नेपाली कंपनियां समेट लेती हैं। ========= बीएसएनएल में कर्मचारियों और कनेक्शन की स्थिति नियमित कर्मचारी 08 ठेका कर्मचारी 45 मोबाइल संयोजन 1.15 लाख ब्राड बैंड संयोजन 1200 लैंड लाइन फोन 3800
======== संविदा कर्मियों के हड़ताल पर जाने से बढ़ सकती है दुश्वारियां पिथौरागढ़: बीएसएनएल में स्वच्छैकि सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों का भारी संकट खड़ा हो गया है। पूर्व में जहां विभाग में दो दर्जन कर्मचारी थे। 16 कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति ले लेने के बाद अब मात्र आठ नियमित कर्मचारी रह गए हैं। ये सभी तकनीकी कर्मचारी हैं। ऑफिस का पूरा कामकाज अब ठेका कर्मचारियों पर है। जिले की लाइनों की देखरेख का जिम्मा अब पूरी तरह ठेका कर्मचारियों के ऊपर है। जिले में लाइनों में कहीं भी दिक्कत आने पर इन्हीं कर्मचारियों को दौड़ना पड़ता है और इन्हें सात से नौ हजार तक मानदेय मिलता है, लेकिन इन कर्मियों के हड़ताल पर जाने से आने वाले समय में उपभोक्ताओं को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ====== बुधवार की सुबह संचार सेवा बहाल कर दी गई है। इंटरनेट को लेकर कुछ उपभोक्ताओं ने शिकायत की थी जिसे तत्काल दूर कर दिया गया था। सेवा को सामान्य बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
- एनएस रावत, जिला प्रबंधक, पिथौरागढ़