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सीमांत के विद्यालयों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों का अकाल

जागरण संवाददाता पिथौरागढ़ नए शिक्षा सत्र के प्रारंभ हुए चार माह पूरे हो चुके हैं। ग्रीष्मावकाश्

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Jul 2019 11:15 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jul 2019 06:34 AM (IST)
सीमांत के विद्यालयों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों का अकाल

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: नए शिक्षा सत्र के प्रारंभ हुए चार माह पूरे हो चुके हैं। ग्रीष्मावकाश के बाद विद्यालयों को खुले एक माह का समय बीत चुका है। शिक्षा के क्षेत्र में जुलाई से लेकर सितंबर माह विद्यालयों में कोर्स को लेकर सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं। सीमांत के विद्यालयों में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं। एक दर्जन से अधिक विद्यालय ऐसे हैं जहां पर बच्चे केवल स्कूल जाते हैं, हाजिरी लगाते हैं और पूरे दिन खाली बैठे रहते हैं। आठ वादनों वाले विद्यालय में एक वादन भी पढ़ाने को शिक्षक नहीं हैं। सीमांत के बच्चों के डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक तो दूर रहे शिक्षक और लिपिक बनने तक के द्वार बदहाल व्यवस्था ने रोक दिए हैं। जिले के पश्चिमी छोर पर स्थित गणाईगंगोली से लेकर सुदूर पूर्वी छोर माकम कैलास तक के हाल एक जैसे हैं। ========= विज्ञान और गणित पढ़ने को तरस गए हैं बच्चे संवाद सूत्र, बरम : विकास खंड धारचूला के सर्वाधिक छात्र संख्या वाले राइंका बरम को आदर्श विद्यालय की दर्जा दिया गया है। इस आदर्श विद्यालय की दुर्दशा यहां पर तैनात शिक्षकों की कमी प्रदर्शित कर देती है। विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या बीते वर्ष पांच सौ से अधिक थी। शिक्षकों की कमी के चलते अब यह संख्या काफी घट चुकी है।

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सम्पन्न अभिभावकों ने इस विद्यालय से अपने बच्चों की टीसी कटा कर अन्य विद्यालयों में प्रवेश दिला दिया है। विद्यालय में हाईस्कूल कक्षाओं को पढ़ाने के लिए गणित और विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं तो इंटर कक्षाओं में भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और गणित के प्रवक्ता के पद वर्षों से खाली हैं। विद्यालय में शिक्षकों की कमी को लेकर जनता में आक्रोश है। एक तरफ इस विद्यालय में पढ़ने के लिए 16 किमी दूर कनार, भटभटा और 10 किमी दूर मेतली से प्रतिदिन पैदल चल कर बच्चे आते हैं विद्यालय में पढ़ाने को शिक्षक नहीं हैं। इस माह के अंत तक शिक्षक नहीं आए तो एक अगस्त से गोरी नदी से लेकर आठ हजार फीट की ऊंचाई कनार तक आंदोलन की चिंगारी फूटने के पूरे आसार बने हैं। ============= छात्र संख्या तीन सौ और शिक्षक दो

मुनस्यारी : राइंका नाचनी, कोटा पंद्रहपाला, बांसबगड़, सैणरांथी, आदर्श राइंका मदकोट, राइंका होकरा , बिर्थी सहित एक दर्जन से अधिक राइंका बदहाल हैं। शिक्षकों की मांग को लेकर होकरा के ग्रामीणों ने बीते दिनों गांव में ही भूख हड़ताल की थी। अब बेड़ू महर, किमखेत और सैणरांथी में एक अगस्त से ग्रामीण भूख हड़ताल करने जा रहे हैं। ========== विज्ञान तो दूर कला वर्ग के विषय पढ़ाने को नहीं हैं शिक्षक

धारचूला: धारचूला तहसील में शिक्षा के नाम पर केवल मजाक होता आया है। तहसील मुख्यालय धारचूला छोड़कर तहसील के किसी भी विद्यालय में पूरे शिक्षक नहीं हैं। राइंका रांथी, जुम्मा, खेला, खेत, माकम कैलास, पांगू, पय्यापौड़ी इंटर कॉलेजों की सुध तक नहीं ली जाती है। इन विद्यालयों से तबादला होकर जाने वाले शिक्षक के स्थान पर कोई प्रतिस्थानी नहीं आते हैं। =========== सुविधाजनक विद्यालयों में तक नहीं हैं शिक्षक

डीडीहाट: तहसील के अधिकांश माध्यमिक विद्यालय सड़क से लगे हुए स्थानों पर हैं। इसके बाद भी तहसील मुख्यालय से लेकर दूनाकोट, अस्कोट, गर्खा, पीपली, देवलथल तक के विद्यालयों में शिक्षकों का टोटा बना है। बेरीनाग, गंगोलीहाट और गणाईगंगोली में भी अधिकांश विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है। ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय को केवल नाम के हैं। तहसील मुख्यालय गणाईगंगोली के राइंका में 23 वर्षो से भौतिक विज्ञान का प्रवक्ता नहीं है। ========

शिक्षकों की मांग को लेकर लगातार सरकार से सम्पर्क किया जाता है। विभाग को भी इसके बारे में बताया जाता है। गावों से हो रहे पलायन का एक प्रमुख कारण शिक्षा है। सरकार ने आगे होने वाली नियुक्तियों में जिले में पर्याप्त शिक्षकों की मांग की जाएगी।

- विशन सिंह चुफाल, विधायक भाजपा, डीडीहाट ======= गंगोलीहाट विस क्षेत्र के अधिकांश विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है। इस संबंध में शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री और विभाग से शिक्षकों की नियुक्ति के बारे में बात की है।

- मीना गंगोला, विधायक भाजपा गंगोलीहाट ========== भाजपा सरकार ने पहाड़ में शिक्षा को समाप्त करने की ठानी है। पूर्व सरकार के कार्यकाल में दूरस्थ के विद्यालयों में शिक्षक तैनात किए थे। व्यवस्था के तहत शिक्षा को पटरी पर लाने का प्रयास किया गया था। वर्तमान सरकार ने तबादला नीति का नाटक कर पहाड़ के विद्यालयों के साथ अन्याय किया है।

- हरीश धामी, विधायक, धारचूला ========== जिले में 215 माध्यमिक विद्यालयों में केवल तीस प्रधानाचार्य हैं। प्रवक्ताओं के 67 फीसद पद रिक्त हैं। तीन राइंका में तो एक भी प्रवक्ता नहीं हैं। विभाग से नियुक्ति के बारे में लगातार पत्राचार चलता है।

- एके जुकरिया, सीईओ, पिथौरागढ़


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