बस्ते का बोझ होगा कम, शिक्षा के प्रति बढ़ेगी रुचि
नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया गया है।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल:
नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया गया है। इसलिए बच्चों को चित्रों, कहानियों और विभिन्न रंगों के माध्यम से सिखाने व पढ़ाने पर जोर दिया गया। जससे बच्चों में शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ने के साथ ही रुझान भी बढ़ेगा। यह छात्रों के बस्ते के बोझ को कम करेगी। इसमें शिक्षा के अधिकार कानून का दायरा भी बढ़ाया गया है।
सोमवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर में आयोजित परिचर्चा में स्कूली शिक्षा पर विशेष रूप से चर्चा की गयी। इस मौके पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के संयुक्त निदेशक कुलदीप गैरोला ने कहा कि नई शिक्षा नीति की विशेषता के बारे में बताया। इस मौके पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की डॉ. भारती ने कहा कि नई शिक्षा नीति में समावेशी शिक्षा को महत्व दिया गया है। बच्चे के स्कूल और शिक्षा छोड़ने के कारणों का भी पता लगाने को प्राथमिकता दी गयी है।
परिचर्चा कार्यक्रम के संयोजक प्रो. एमएम सेमवाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति केवल ज्ञान बढ़ाने वाली ही नहीं है वरन इससे छात्रों का नैतिक और आत्मिक विकास भी होगा। शिक्षकों को भी बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के डीन प्रो. आशीष श्रीवास्तव ने नई शिक्षा नीति को प्रगतिशील बताते हुए कहा कि इसमें शिक्षकों को निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है। गैर शैक्षणिक कार्यों के लिए शिक्षकों को एक निश्चित समय से अधिक कार्य नहीं करना होगा। दिल्ली विवि शिक्षा संकाय के प्रो. पंकज अरोरा ने कहा कि सीखने की प्रक्रिया लंबी होनी चाहिए। परिचर्चा संचालक प्रो. सीमा धवन ने कहा कि नई शिक्षा नीति मानसिक और भावनात्मक विकास के साथ ही छात्रों के शारीरिक विकास में भी सहयोगी बनेगी। इस अवसर पर अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के जगमोहन कठैत, डॉ. प्रदीप अंथवाल भी परिचर्चा में शामिल थे।