हांफती पेयजल लाइनें, जनता हलकान
संवाद सहयोगी कोटद्वार जल संस्थान की पेयजल लाइनों के हांफने से जनता हलकान है। जगह-जगह लाइ
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: जल संस्थान की पेयजल लाइनों के हांफने से जनता हलकान है। जगह-जगह लाइनों में लीकेज से पानी बर्बाद हो रहा है। वहीं, गर्मी के दस्तक देने के साथ ही विभाग के ट्यूबवैल भी जवाब देने लगे हैं। ऐसी स्थिति में गर्मी के दौरान पेयजल व्यवस्था सुचारू रखना विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
वर्ष 1975 में कोटद्वार नगर के अलावा मोटाढाक, हल्दूखाता व रिगड्डी में पेयजल योजनाएं बनाई गई। उस समय क्षेत्र में बहुत कम संख्या में कनेक्शन हुआ करते थे, लेकिन वर्तमान में तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है। अब क्षेत्र की आबादी डेढ़ लाख से अधिक हो गई है। वहीं, कनेक्शनों की संख्या भी हजारों में पहुंच गई है, लेकिन प्रत्येक वर्ष गर्मी के मौसम में क्षेत्र में पेयजल किल्लत बनी रहती है। इसका प्रमुख कारण पुरानी पेयजल लाइनों का जगह-जगह लीकेज होना है। कई क्षेत्रों में गंदे पानी की सप्लाई के मामले भी अक्सर सामने आते रहते हैं। विभाग की ओर से विभिन्न स्थानों पर ट्यूवबैल भी स्थापित कराए, लेकिन गर्मी में उक्त ट्यूबवैल भी जवाब दे जाते हैं। विभाग की ओर से पेयजल लाइनों की मरम्मत के संबंध में शासन को प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है। गर्मी में बढ़ सकती है परेशानी
गर्मी के मौसम में निर्बाध रूप से पेयजल आपूर्ति को सुचारू रखना विभाग के लिए चुनौती बन सकता है। तीन दिन पूर्व सुखरो देवी मंदिर ट्यूबवैल फूंकने से रतनपुर, हरिसिंहपुर, शिब्बूनगर, सिताबपुर व कौड़िया आदि क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति बाधित हो गई थी। साथ ही, गिवईं स्त्रोत में भी ट्यूबवैल फूंकने से लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ा था। पुरानी पेयजल लाइनों की मरम्मत के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है, जिस तरह से शासन से बजट मिल रहा है, उसी प्रकार मरम्मत कार्य कराया जा रहा है।
एलसी रमोला, अधिशासी अभियंता, जल संस्थान