..और अधूरी रह गई घर जाने की आस
संवाद सहयोगी कोटद्वार पिछले दो माह से घर जाने की उम्मीद लिए दर-दर भटक रहे बिहार के
संवाद सहयोगी, कोटद्वार: पिछले दो माह से घर जाने की उम्मीद लिए दर-दर भटक रहे बिहार के श्रमिकों की घर पहुंचने की उम्मीद उड़ान भरने से पहले ही धराशायी हो गई। प्रशासन की ओर से इन श्रमिकों को हरिद्वार रेलवे स्टेशन तक पहुंचने की व्यवस्था कर दी गई, लेकिन स्टेशन पहुंचने से पहले ही बिहार की ओर जाने वाली रेल फुल हो गई। नतीजा, घर जाने की आस लिए बिहार पहुंचे यात्रियों को बैरंग वापस कोटद्वार लौटना पड़ा।
गुरुवार को प्रशासन की ओर से कोटद्वार शहर में रह रहे बाहरी राज्यों के श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी गई। प्रशासन की ओर से 277 श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें हरिद्वार तक भेजने के लिए सात बसों की व्यवस्था की गई। प्रथम चरण में 102 यात्रियों को तीन बसों से हरिद्वार की ओर रवाना किया गया। नायब तहसीलदार राजेंद्र प्रसाद ममगाई ने बताया कि श्रमिक हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर पहुंचते, इससे पूर्व ही हरिद्वार से जानकारी दी गई कि बिहार जाने वाली ट्रेन फुल हो गई है व श्रमिकों को वापस कोटद्वार बुलवा दीजिए। बताया कि हरिद्वार से मिली जानकारी के बाद हरिद्वार की ओर निकलने वाली बसों को कोटद्वार में ही रोक दिया, जबकि हरिद्वार पहुंच चुकी बसों को वापस कोटद्वार बुला लिया। बताया कि शासन से अगले आदेश जारी होने तक श्रमिकों को उनके ठिकानों पर वापस भेज दिया है। साथ ही कुछ श्रमिकों को तहसील परिसर में निर्माणाधीन बार भवन में रोका गया है।