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तो जाली चेक के जरिये लिया गया भुगतान

कोटद्वार नगर निगम में नगर आयुक्त व लेखाकार के जाली हस्ताक्षरों से धनराशि निकालने संबंधी मामले की गुत्थी दिन-प्रतिदिन उलझती नजर आ रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Aug 2021 10:50 PM (IST)Updated: Sat, 07 Aug 2021 10:50 PM (IST)
तो जाली चेक के जरिये लिया गया भुगतान
तो जाली चेक के जरिये लिया गया भुगतान

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: कोटद्वार नगर निगम में नगर आयुक्त व लेखाकार के जाली हस्ताक्षरों से धनराशि निकालने संबंधी मामले की गुत्थी दिन-प्रतिदिन उलझती नजर आ रही है। अभी तक हुई जांच में यह स्पष्ट हो रहा है कि जिन चेक से भुगतान लिया गया, वे चेक ही फर्जी थे। हालांकि, अब पुलिस की अपराध अन्वेषण शाखा (सीआइयू) भी मामले की जांच में जुट गई है।

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कोटद्वार नगर निगम के बैंक आफ इंडिया में मौजूद खाते से 25 जून से 21 जुलाई के मध्य अलग-अलग तिथियों पर करीब 23 लाख की धनराशि आहरित कर दी गई। नगर आयुक्त पीएल शाह की तहरीर पर पुलिस ने छह संदिग्धों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, दिन-प्रतिदिन नए मामले सामने आ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो अपराधी इस कदर शातिर रहे कि उन्होंने न सिर्फ आयुक्त व लेखाकार के जाली हस्ताक्षर किए, बल्कि चेक बुक ही नकली बनवा दी। सूत्र बताते हैं कि जिन चेक के जरिये भुगतान किया गया, उनमें कोटद्वार का पिन कोड नंबर गलत अंकित है। साथ ही चेक में बैंक का आइएफएससी कोड व नगर निगम का खाता संख्या भी दर्ज है। जबकि 2005 में जारी होने वाली चेक बुक में लगे चेक में न तो खाता संख्या लिखा होता था और न ही आइएफएससी कोड होता है। आहरित चेक में एक स्थान पर बारीक शब्दों में 2019 भी अंकित है। ऐसे में इस बात की संभावनाएं काफी अधिक हैं कि फर्जी चेक बुक 2019 में प्रकाशित की गई हो।

चेक नंबर पर टिकी पूरी जांच

पुलिस की पूरी जांच अब इस बात पर टिक गई है कि अपराधियों तक चेक नंबर कैसे पहुंचे? दरअसल, बैंक की ओर से चेक बुक जारी होने के बाद चेक बुक नगर निगम में सुरक्षित रखी जाती है। नगर निगम सूत्रों की माने तो इन दोनों चेक बुक के संबंध में नगर निगम के पास भी कोई जानकारी नहीं है। जबकि बैंक का स्पष्ट कहना है कि चेक बुक नगर निगम को ही जारी कर गई थी। अब नगर निगम पुराने रिकार्ड खंगाल यह जानने का प्रयास कर रहा है कि बैंक से जारी दोनों चेक बुक से चेक किस-किस फर्म अथवा व्यक्ति को जारी किए गए?

2019 से चल रही थी योजना

नगर निगम के खातों से धनराशि उड़ाने की तैयारी आनन-फानन नहीं की गई। शातिर बदमाश 2019 से इसकी तैयारियों में जुटे हुए थे। सूत्रों की मानें तो अभी तक हुई जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि जिन खातों में धनराशि हस्तांतरित की गई, वे 2019 में खोले गए थे। साथ ही इन खातों में संलग्न मोबाइल नंबर भी उसी दौरान लिए गए थे। जिन चेक के जरिये धन आहरित किया गया, उन चेक पर भी 2019 अंकित है। स्पष्ट है कि नगर निगम के खाते से धनराशि हड़पने की योजना बदमाश लंबे समय से बना रहे थे।


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