जान की बाजी लगाकर बचा रहे जीवन
जागरण संवाददाता कोटद्वार वे चाहते तो कोरोना संक्रमण के नाम पर स्वयं भी घरों में बैठकर
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: वे चाहते तो कोरोना संक्रमण के नाम पर स्वयं भी घरों में बैठकर मोबाइल फोन पर कोरोना को लेकर अनाप-शनाप कमेंट करते रहते, लेकिन उन्हें पता था कि इस वक्त देश को उनकी जरूरत है। नतीजा, स्वयं की जान की चिता किए बिना उन्होंने अपने वाहनों का स्टेयरिग संभाला और निकल पड़े आमजन की जरूरतों को पूरा करने। वर्तमान में जहां आमजन पुलिस, चिकित्सकों को देवदूत की उपाधि दे रहा है, ऐसे में अपने वाहनों के जरिये राशन, फल व सब्जियों को यहां-वहां पहुंचा रहे वाहन चालक भी बड़े कोरोना योद्धा के रूप में सामने आ रहे हैं।
कोटद्वार क्षेत्र में कोई मंडी नहीं है। इसलिए कोटद्वार क्षेत्र में सामान की पूरी आपूर्ति मैदानी क्षेत्रों से होती है। लॉकडाउन हुआ तो कोटद्वार में पूरी व्यवस्था चरमरा गई और लॉकडाउन के दूसरे दिन ही क्षेत्र में आटा-चावल जैसी मूलभूत जरूरतों का अकाल पड़ने लगा। इस पर जिला प्रशासन ने तराई क्षेत्रों से आटा-चावल की आपूर्ति शुरू कराने की निर्णय लिया। प्रशासन के इस निर्णय ने तभी सफल होना था, जब ट्रकों का स्टेयरिग संभालने की जिम्मेदारी चालक उठाते। संक्रमण के इस दौर में ट्रक चालकों ने भी अपने दायित्वों का निर्वहन किया व स्वयं के जीवन को खतरे में डाल घर से बाहर निकलकर खाद्य पदार्थों की आपूर्ति में सरकार का सहयोग शुरू कर दिया। काशीपुर क्षेत्र से चावल लेकर पहुंचे ट्रक चालक बलवीर सिंह ने बताया कि कोरोना का डर उन्हें भी है, लेकिन किसी जरूरतमंद को अनाज न मिले, यह बड़ा अन्याय होगा। बताया कि कोरोना से निपटने की जिम्मेदारी सरकार की है, लेकिन सरकार ने हमें लोगों के लिए अनाज पहुंचाने की जिम्मेदारी दी है, जिसका हम बखूबी निर्वहन करेंगे।
नजीबाबाद सब्जी मंडी से प्रतिदिन सब्जी लेकर पहुंचे वाले मैक्स चालक ने बताया कि इस वक्त लोगों की उनकी जरूरत है। ऐसे में वे कोरोना के डर से घर में बैठ जाएं, यह संभव नहीं। उन्होंने आमजन से अपील की कि वे घर पर ही रहें, फल-सब्जी उनके घर के बाहर कोई न कोई जिम्मेदार नागरिक अवश्य ले आएगा।