गाण्यूं की गंगा स्याण्यूं का समोदर छा मेरा मन मा.
जागरण संवाददाता श्रीनगर गढ़वाल वैकुंठ चतुर्दशी मेला एवं विकास प्रदर्शनी की तीसरी सांस्कृतिक
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: वैकुंठ चतुर्दशी मेला एवं विकास प्रदर्शनी की तीसरी सांस्कृतिक संध्या गढ़-कुमाऊंनी कवियों के नाम रही। हास्य व्यंग्य से भरपूर इस कवि सम्मेलन में कवियों ने सामाजिक व्यवस्थाओं पर भी तीखे कटाक्ष किए। दिल्ली सरकार में गढ़-कुमाऊंनी, जौनसारी भाषा आयोग के उपाध्यक्ष हीरा सिंह राणा की अध्यक्षता में आयोजित इस कवि सम्मेलन में कवियों ने एक से बढ़कर एक कविताओं का पाठ कर दर्शकों को देर रात तक पांडाल में बैठने को मजबूर किया। ब्लाक प्रमुख जखोली प्रदीप थपलियाल ने बतौर मुख्य अतिथि कवि सम्मेलन का उद्घाटन किया। लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने 'गाण्यूं की गंगा स्याण्यूं का समोदर छा मेरा मन मा', श्रीनगर तहसीलदार और नगरपालिका अधिशासी अधिकारी का भी जिम्मा संभाले सुनील राज ने हंसुली, धगुली, गुलाबंद की बात करी, धन्य नरेंद्र नेगी जौन उत्तराखंड की बात करी., हीरा सिंह राणा ने अहारे जमाना ओहो रे जमाना, ढाई बीसी बरस बटीण तिरंग कैं रंग्याण मैं छ:. कविता पाठ कर श्रोताओं की तालियां बटोरी।
कार्यक्रम प्रभारी देवेंद्र उनियाल की कविता वर्षूं पैली जब मेरा गौं मा क्वी सुविधा नि छै, गौं छोड़ने की या है बैं कै बैं नि छै., नीता कुकरेती की कविता अंधेरु चुकपट्ट हुयूं च, छिल्ला भी कखि हर्ची गैन., गणेश खुगशाल गणी की 'छपैयालि वून अखबार मा अपणा बुबै फोटु', संदीप रावत की 'एक बीज सब्र को हमारा भितर होण चैंद, हव्वा कै बि दिशा हो, धीरज नी खौंण चैंद', ओमप्रकाश सेमवाल की कविता 'ईं व्यवस्था मा दम घुटेणु उठा खड़ा', जगदम्बा चमोला की कविता 'तू जोन सी जुन्याली', नरेंद्र रयाल की कविता 'एक सत्र छ होण यख' तथा धर्मेंद्र नेगी की कविता 'कमर अपणि मसगैकि देख' कविता को श्रोताओं ने खूब सराहा।
नगरपालिका अध्यक्ष पूनम तिवाड़ी, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता प्रदीप तिवाड़ी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष रुद्रप्रयाग सुमंत तिवाड़ी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य पौड़ी लखपत भंडारी, जिला पंचायत सदस्य रुद्रप्रयाग गणेश तिवाड़ी, विनोद राणा और जेके पैन्यूली, प्रकाश चमोली, महेश गिरी, नीरज नैथानी, गंगा असनोड़ा भी मौजूद थे।
तहसीलदार का कवि रूप भी खूब भाया
वैकुंठ चतुर्दशी मेले में आयोजित गढ़-कुमाऊंनी कवि सम्मेलन में श्रीनगर के तहसीलदार सुनील राज अपनी रचनाओं से छाए रहे। तहसीलदार का कवि रूप देखकर श्रोता चकित रह गए। तहसीलदार सुनील राज ने श्रोताओं को निराश भी नहीं किया। उनकी कविताएं श्रोताओं ने भरपूर सराही। उल्लेखनीय है कि युवा तहसीलदार सुनील राज केदारनाथ आपदा के दौरान उस क्षेत्र में अपनी तैनाती के रहते वहां के भयानक मंजर और उस दर्दनाक हादसे को भी कविता के रूप में ढाल कर साहित्यिक जगत में पैठ बना चुके हैं।