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खुद सड़क बनाने निकले सिस्टम से खफा ग्रामीण

हरीश रावत, धुमाकोट: पहाड़ का शायद ही कोई हिस्सा होगा, जहां लोग सिस्टम की बेरुखी

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 03:01 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 03:01 AM (IST)
खुद सड़क बनाने निकले सिस्टम से खफा ग्रामीण
खुद सड़क बनाने निकले सिस्टम से खफा ग्रामीण

हरीश रावत, धुमाकोट: पहाड़ का शायद ही कोई हिस्सा होगा, जहां लोग सिस्टम की बेरुखी से खफा न हों। एक ओर जहां सीमांत चमोली जिले के स्यूणी मल्ली के ग्रामीण श्रमदान कर छह किमी सड़क बनाने में जुटे हैं। वहीं, अब पौड़ी जिले के नैनीडांडा ब्लॉक स्थित आंसौ-बाखली के ग्रामीणों ने दिगोलीखाल-आसौं-कीमू रौला मोटर मार्ग के अवशेष तीन किमी हिस्से के निर्माण को खुद कमर कस ली है। उन्होंने संकल्प लिया है कि 26 जनवरी तक वे गांव तक सड़क पहुंचा देंगे।

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गुजड़ू पट्टी का आसौं-बाखली क्षेत्र आजादी के बाद से ही मोटर मार्ग के लिए तरस रहा है। ग्रामीणों के लगातार संघर्ष के बाद वर्ष 2005 में सरकार ने दिगोलीखाल-आसौं-कीमू रौला 10 किमी मोटर मार्ग को स्वीकृति प्रदान की। इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने सड़क निर्माण का कार्य शुरू भी किया, लेकिन सात किमी कटान के बाद कार्य रोक दिया गया। कार्यदायी संस्था कभी ग्रामीणों के बीच विवाद तो कभी वन अधिनियम का हवाला देकर निर्माण को लटकाती रही और देखते-देखते 13 वर्ष यूं ही गुजर गए। इस कालखंड में ग्रामीण ने शासन-प्रशासन से लेकर जन प्रतिनिधियों तक की चौखट पर कई बार हाजिरी बजाई। लेकिन, सिवाय कोरे आश्वासनों के कुछ हाथ न आया।

आखिरकार, इस बेरुखी से आजिज आकर ग्रामीणों ने स्वयं ही चंदा एकत्र कर गांव तक सड़क पहुंचाने का संकल्प लिया और सोमवार को मकर संक्रांति से इस भगीरथ प्रयास में जुट भी गए। इस मौके पर जिला पंचायत सदस्य नारायण सिंह रावत, गोपाल शरण तोमर, गोपाल बिष्ट, दयाल रावत, बख्तावर तोमर, नारायण बिष्ट, गो¨वद राम, जगमोहन खाती, कुलदीप, नंदन, बालम डिमरी आदि ग्रामीण उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में निर्णय लिया कि 26 जनवरी तक गांव में सड़क पहुंचाकर गणतंत्र दिवस को यादगार बनाएंगे।

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बेहद जटिल है गांव की स्थिति

आसौं-बाखली पौड़ी जिले के नैनीडांडा ब्लॉक का आखिरी गांव है। इस गांव की सीमा अल्मोड़ा जिले के सल्ड ब्लॉक की सीमा से लगी हुई है। क्षेत्र के संजय ¨सह बिष्ट ने बताया कि इस मार्ग के बन जाने से 25 से 30 गांवों को सीधा लाभ मिलेगा। वर्तमान में ग्रामीणों को ब्लॉक मुख्यालय नैनीडांडा व तहसील मुख्यालय धुमाकोट पहुंचने के लिए चार किमी की खड़ी चढ़ाई पैदल नापने के बाद 35 किमी का सफर वाहनों से तय करना पड़ता है। बताना जरूरी है कि धुमाकोट-किनगोड़ीखाल मार्ग पर मात्र एक बस चलती है। यदि गांव से सड़क तक पहुंचने में थोड़ा भी विलंब हो जाए तो फिर पूरा सफर पैदल ही तय होता है। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी यह क्षेत्र पूरी तरह रामनगर पर निर्भर है। बीमार को सड़क तक लाने के लिए चारपाई का सहारा लेना पड़ता है।

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'यह क्षेत्र मेरी विधानसभा का हिस्सा है। लेकिन, ग्रामीणों में विवाद के चलते सड़क नहीं बन पा रही थी। वर्तमान में मैंदोली व बाखली के लिए अलग-अलग सड़क स्वीकृत हो गई हैं। ग्रामीणों का प्रयास सराहनीय है।'

-दिलीप रावत, विधायक, लैंसडौन क्षेत्र


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