प्रधान लौटे घर, बीडीसी की तलाश तेज
जागरण संवाददाता कोटद्वार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत सोमवार को जिले के 15 विकासखंडों म
जागरण संवाददाता, कोटद्वार
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत सोमवार को जिले के 15 विकासखंडों में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य व जिला पंचायत सदस्य पद के लिए प्रत्याशियों के मतों की गिनती का कार्य किया गया। देर रात तक ब्लॉक मुख्यालयों में मतगणना का कार्य जारी रहा। मतगणना के दौरान सुबह से ही चुनावी परिणाम आने लगे थे। चुनाव परिणाम आने के साथ ही ग्राम प्रधान पद के विजेता प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ ढोल-दमाऊ की थाप के साथ घर को लौट गए, जबकि क्षेत्र पंचायत सदस्य पद पर जीतने वाले प्रत्याशियों को अपने पाले में लाने की कवायद शुरू हो गई। दरअसल, ब्लॉक प्रमुख पद के दावेदारों की नैय्या इन्हीं क्षेत्र पंचायत सदस्यों के भरोसे पार होने है।
सोमवार को जैसे-जैसे मतगणना जोर पकड़ती चली गई, अलग-अलग प्रखंडों में ब्लॉक प्रमुख का पद कब्जाने को शतरंज की बिसात बिछने लगी थी। ब्लाक प्रमुख का चुनाव क्षेत्र पंचायत सदस्यों के द्वारा ही किया जाना है, ऐसे में संभावित दावेदारों की नजरें पूरी तरह निर्वाचित होने वाले सदस्यों पर टिकी रही। अमूमन सभी जगह ब्लाक प्रमुख पद के संभावित दावेदारों के समर्थक मतगणना केंद्र के बाहर जीतने वाले क्षेत्र पंचायत सदस्यों से बातचीत करते नजर आए। ब्लॉक प्रमुख का चुनाव होने तक अब संभावित दावेदारों की नजर पूरी तरह क्षेत्र पंचायत सदस्यों पर रहेगी।
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टॉस कर निकला परिणाम
दुगड्डा प्रखंड में ग्राम सभा बादकोट व क्षेत्र पंचायत सीटी जुवा-उमरैला का चुनाव परिणाम टॉस कर निकाला गया। ग्राम सभा बादकोट में प्रधान पद की प्रत्याशी पुष्पा देवी व रीना देवी को 78-78 मत प्राप्त हुए। जिसके बाद निर्वाचन अधिकारी ने टॉस किया और पुष्पा देवी को विजयी घोषित कर दिया गया। क्षेत्र पंचायत सीट जुवा-उमरैला में वीरेंद्र व रवींद्र को 174-174 मत मिले। टॉस के उपरांत रवींद्र को विजयी घोषित किया गया।
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गलती पीठासीन अधिकारी की, भुगत रहे प्रत्याशी
मतगणना के दौरान कई ऐसे मतदान केंद्र रहे, जहां पीठासीन अधिकारियों की गलतियों का खामियाजा प्रत्याशियों को भुगतना पड़ा। दरअसल, मतदान के दौरान पीठासीन अधिकारियों ने कई मतपत्रों को हस्ताक्षर नहीं किए थे। सोमवार को जब मतगणना के लिए मतपेटियां खोली गई तो सैकड़ों मतपत्रों को सिर्फ इसलिए खारिज करना पड़ा, क्योंकि इन मतपत्रों पर पीठासीन अधिकारियों के हस्ताक्षर नहीं थे। आलम यह रहा है कि चुनावी दंगल में पराजित होने वाले कई प्रत्याशियों ने अपनी हार का ठीकरा पीठासीन अधिकारियों के सिर फोड़ा। साथ ही निर्णय के खिलाफ न्यायालय में जाने की भी चेतावनी दी।