अब योगी की दया पर पेशावर विद्रोह के नायक का परिवार
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: पेशावर विद्रोह के नायक वीर चंद्र ¨सह गढ़वाली के परिजनों के
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: पेशावर विद्रोह के नायक वीर चंद्र ¨सह गढ़वाली के परिजनों के सिर पर मंडरा रही बेदखली की तलवार फिलहाल हटती नजर नहीं आ रही। 'दैनिक जागरण' में खबर छपने के बाद भले ही उत्तराखंड शासन में थोड़ा-बहुत सुगबुगाहट जरूर हुई, लेकिन मामले के उत्तर प्रदेश से जुड़े होने के कारण फिर उसने भी चुप्पी साध ली। हालांकि, अब प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक ¨सह रावत ने उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर गढ़वाली के परिजनों को राहत देने की गुजारिश की है।
इसी वर्ष 30 अगस्त को उत्तर प्रदेश के बिजनौर वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी की ओर से पेशावर विद्रोह के नायक वीर चंद्र ¨सह गढ़वाली की पुत्रवधुओं को नोटिस भेजा गया। उसमें उल्लेख था कि वर्ष 1975 में गढ़वाली को कोटद्वार-भाबर के ग्राम हल्दूखाता के समीप वन क्षेत्र में जो भूमि लीज पर दी गई थी, उसका अभी तक निष्पादन नहीं हो पाया। यह लीज की शर्तो का उल्लंघन है और ऐसी स्थिति में लीज की भूमि पर रहने वालों को अतिक्रमणकारी माना जाएगा। 'दैनिक जागरण' ने अपने 15 सितंबर के अंक में 'तो सड़क पर आ जाएगा पेशावर विद्रोह के महानायक का परिवार' शीर्षक से प्रकाशित खबर में गढ़वाली के व्यक्तित्व के साथ ही वन महकमे की ओर से जारी इस नोटिस पर विस्तार में प्रकाश डाला था।
इसके बाद शासन में हड़कंप मच गया व आनन-फानन में उत्तराखंड वन महकमे ने मामले से संबंधित जानकारी लैंसडौन वन प्रभाग से तलब की। इसमें पता चला कि मामला उत्तर प्रदेश के बिजनौर वन प्रभाग का है, सो इसके बाद उत्तराखंड शासन ने चुप्पी साध ली। हालांकि, दूसरी ओर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री हरक ¨सह रावत ने इस मामले में उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है। पत्र में जहां गढ़वाली के शौर्य की कहानी बयां की गई है, वहीं परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति का जिक्र भी किया गया है। कहा गया है कि भले ही उप्र शासन की ओर से गढ़वाली को दस एकड़ भूमि 90 वर्षो की लीज पर दी हो, लेकिन वर्तमान में उनके वंशजों की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय है और वो लीज का शुल्क वहन करने में असमर्थ हैं। पत्र में मुख्यमंत्री से लीज शुल्क माफ करने का आग्रह किया गया है।