Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गोल्डन जुबली के बहाने लौटी गढ़वाल कमिश्नरी की रौनक, जानिए इसका इतिहास

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sun, 30 Jun 2019 10:44 AM (IST)

    पौड़ी में पचास साल पूरे होने पर आयोजित गोल्डन जुबली समारोह में कमिश्नरी में ऐसी रौनक थी जैसी उत्तर प्रदेश के समय हुआ करती थी। ...और पढ़ें

    Hero Image
    गोल्डन जुबली के बहाने लौटी गढ़वाल कमिश्नरी की रौनक, जानिए इसका इतिहास

    पौड़ी, गुरुवेंद्र नेगी। पृथक उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पहली बार मंडल पौड़ी स्थित कमिश्नरी की खोई चमक लौट आई। पचास साल पूरे होने पर आयोजित गोल्डन जुबली समारोह में कमिश्नरी में ऐसी रौनक थी, जैसी उत्तर प्रदेश के समय हुआ करती थी। कमिश्नरी के आगे वाहन की कतार लगी थी, तो पूरा माहौल 'सरकार जनता के द्वार' जैसा लग रहा था। सभी के मन में यही था कि काश मुख्यालय में यूं ही हलचल रहती और कमिश्नरी का रुतबा या यूं कहें गढ़वाल की राजधानी सही मायने में यहीं से संचालित होती।   

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वर्ष 1969 में कुमाऊं से अलग कर गढ़वाल मंडल की कमिश्नरी को पौड़ी स्थापित किया गया। इसके पीछे का एक कारण विषम भौगोलिक परिस्थितियां बताते हैं। शुरुआती दौर में आयुक्त गढ़वाल का कार्यालय उद्यान विभाग के कुछ कक्षों में संचालित होना बताया जाता है। वर्ष 1973-74 में कमिश्नरी का कार्यालय बनकर तैयार हुआ और कमिश्नरी अपने भवन में शिफ्ट हो गई। 

    उत्तर प्रदेश शासनकाल में भी गढ़वाल मंडल का मुख्यालय पौड़ी ही था। तब लखनऊ दूर था तो कमिश्नरी का अपना एक अलग रौब हुआ करता था। गढ़वाल मंडल के सभी जनपदों के लिए फरमान यहीं से जारी होते थे। बुजुर्ग व रंगकर्मी गौरी शंकर थपलियाल बताते हैं कि उत्तर प्रदेश शासनकाल में कमिश्नरी में हर रोज प्रशासनिक हलचल और गतिविधियों से मंडल के सरकारी विभागों में ही नहीं, बल्कि बाजारों में भी रौनक रहती थी।

    बेहतर मौसम और प्राकृतिक सुंदरता के चलते पहले यह शहर अंग्रेजों की भी पसंद था। वर्ष 2000 में पृथक उत्तराखंड राज्य बना तो पौड़ी की उपेक्षा भी यहां से शुरू हो गई। कमिश्नरी तो है, लेकिन मंडलीय अधिकारियों का मोह भी देहरादून की ओर बढ़ने लगा। और तब हश्र यह हुआ कि अधिकारियों ने देहरादून को मेन और पौड़ी को कैंप जैसा बना दिया। कुछ मंडलीय कार्यालय भी देहरादून शिफ्ट हो गए। आए दिन स्थानीय लोग भी इसकी शिकायत जनप्रतिनिधियों से करते भी रहे। पर ठीक होमवर्क न होने से हालात कुछ खास नहीं सुधरे। कमिश्नरी में पहले आयुक्त एससी सिंघा रहे। तो पचास साल के इस सफर में 31 आयुक्त यहां विराजमान भी रहे। 

    मौजूदा आयुक्त डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम हैं। इस बार सरकार ने नई पहल करते हुए कमिश्नरी के पचास साल पूरे होने के उपलक्ष्य में सुनैरु गढ़वाल गोल्डन जुबली मनाए जाने का निर्णय लिया। इसके लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां भी की गई। इस दौरान यहां कैबिनेट की बैठक भी आयोजित की गई थी उम्मीदों को भी पंख लगने लगे। जो नजारा यहां गोल्डन जुबली के मौके पर देखने को मिला, वह आयोजन को लेकर दिखा हो या फिर आगे मंडल मुख्यालय पौड़ी के दिन बहुरने के संकेत दे गया हो। इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन जो रौनक मंत्रियों, अधिकारियों, आम जनमानस की यहां देखने को मिली, उसने सबको उत्तर प्रदेश के जमाने की कमिश्नरी याद जरुर दिला दी। 

    आज भी हैं अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए भवन 

    मंडल मुख्यालय पौड़ी की महत्ता और प्राकृतिक सुंदरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि कभी यह अंग्रेजों का पसंदीदा शहर हुआ करता था। इस दौर में बने भवन, जिसमें जिलाधिकारी का कार्यालय, जिला पंचायत का पुराना कार्यालय, पुरानी जेल आदि कई भवन आज भी मौजूद हैं, जो अपनी बनावट के लिए सभी के आकर्षण बने हुए हैं। 

    यह भी पढ़ें: पौड़ी कमिश्नरी के 50 साल पूरे, झलकी गढ़-कुमाऊं की संस्कृति

    यह भी पढ़ें: कैबिनेट बैठक: पौड़ी को तोहफे, पहाड़ी फसलें खरीदेगी सरकार