घर तक पहुंचने लगी जंगल की आग, दहशत
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: जो जंगल मई-जून में आग से झुलसते थे, वह इस वर्ष मार्च में ही आग से धधकने ल
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: जो जंगल मई-जून में आग से झुलसते थे, वह इस वर्ष मार्च में ही आग से धधकने लगे। हालात इस कदर बिगड़ चले हैं कि जंगलों में लगी आग अब घर-गांवों को लीलने को तैयार है। पर्वतीय क्षेत्रों में शायद ही कोई ऐसे जंगल हों, जिसमें आग न सुलग रही हो। सतपुली कस्बे के चारों ओर जंगलों में आग लगी हुई है। इधर, नैनीडांडा प्रखंड में जंगल की आग से एक स्कूल में रखे दस्तावेज व फर्नीचर राख हो गया। हैरानी की बात यह है कि जंगलों में चारों ओर आग भड़की हुई है, लेकिन सरकारी सिस्टम इस ओर से आंखें मूंदे बैठा है।
सतपुली कस्बे से लगे ग्राम ओडल, उखलेत, पुंडेर गांव, मलेथीसैण, सतपुली मल्ली सहित कई अन्य गांवों के जंगलों में इन दिनों आग लगी हुई है। तेज हवा जंगलों में लगी इस आग में घी का काम कर रही हैं। शुक्रवार शाम तेज हवा के कारण जंगल में लगी आग ओडल गांव तक पहुंच गई। ग्रामीणों ने किसी तरह आग पर काबू पाया। इधर, शनिवार दोपहर जंगल में लगी आग सतपुली मल्ली गांव तक भी पहुंच गई। यहां भी ग्रामीणों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग को गांव की तरह आने से रोका।
उधर, प्रखंड नैनीडांडा के अंतर्गत ग्राम पलासी के कोमलन वन क्षेत्र में लगी आग राजकीय प्राथमिक विद्यालय डुंगरी तक पहुंच गई। आग से विद्यालय में रखे दस्तावेज व फर्नीचर राख हो गए। विद्यालय के प्रधानाध्यापक रोशनलाल की ओर से इस संबंध में धुमाकोट थाने में तहरीर दी है।
..और घोसलों समेत राख हो गए परिदे
क्षेत्र के जंगलों में लगी आग से भले ही जनहानि न हुई हो। लेकिन, परिदों के घोसलों में पल रहे बच्चे इस आग की भेंट चढ़ गए। इतना ही नहीं, जंगलों में लगी आग के कारण गुलदार सहित अन्य वन्यजीव भी बस्तियों के आसपास नजर आ रहे हैं।