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पुरानी पेंशन बहाली को मुख्यालय में गरजे कर्मचारी

उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने पुरानी पेंशन बहाल किए जाने समेत 18 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार को कलक्ट्रेट के बाहर जमकर नारेबाजी की। इस दौरान उन्होंने सांकेतिक रूप से धरना देते हुए कहा कि समस्याओं के निराकरण को लेकर लंबे समय से सरकार से गुहार लगाई जा रही है लेकिन उनकी मांगों पर अमल न किए जाने से उन्हें आंदोलन जैसे कदम उठाने को बाध्य होना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 05:28 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 05:28 PM (IST)
पुरानी पेंशन बहाली को मुख्यालय में गरजे कर्मचारी

जागरण संवाददाता, पौड़ी: उत्तराखंड अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति ने पुरानी पेंशन बहाल किए जाने समेत 18 सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार को कलक्ट्रेट के बाहर जमकर नारेबाजी की। इस दौरान उन्होंने सांकेतिक रूप से धरना देते हुए कहा कि समस्याओं के निराकरण को लेकर लंबे समय से सरकार से गुहार लगाई जा रही है, लेकिन उनकी मांगों पर अमल न किए जाने से उन्हें आंदोलन जैसे कदम उठाने को बाध्य होना पड़ रहा है।

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मुख्यालय में विभिन्न विभागों से जुड़े कर्मचारी काफी संख्या में कलक्ट्रेट के बाहर एकत्रित हुए तथा 18 सूत्रीय मांगों के निराकरण को लेकर नारेबाजी करने लगे। इस दौरान समन्वयक समिति के मुख्य संयोजक सोहन सिंह रावत ने कहा कि पदोन्नति के लिए पात्रता अवधि में पूर्व की भांति शिथिलीकरण की व्यवस्था बहाल किए जाने, केंद्र सरकार की भांति प्रदेश के कार्मिकों के लिए भी 11 प्रतिशत महंगाई भत्ते की घोषणा किए जाने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन आज तक इस मसले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिससे समन्वय समिति से जुड़े अधिकारी, कर्मचारी, शिक्षक काफी परेशान हैं। समिति के संयोजक सचिव संजय नेगी ने कहा कि राजकीय वाहन चालकों का ग्रेड वेतन 4800, जिन विभागों का पुनर्गठन अभी तक शासन स्तर पर लंबित हैं, उनका शीघ्र पुनर्गठन करने, स्थानांतरण अधिनियम 2017 में उत्पन्न विसंगतियों का निराकरण करने, समन्वय समिति से जुड़े सभी परिसंघों के साथ पूर्व में शासन स्तर पर हुई बैठकों में किए गए समझौते निर्णय के अनुरूप जल्द ही शासनादेश जारी करने की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक कोई प्रभावी कदम सरकार ने नहीं उठाया है। इससे समन्वय समिति के सदस्य खासा नाराज हैं। चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर जल्द सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया तो उन्हें चरणबद्ध तरीके से आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। इस मौके पर रेवतीनंदन डंगवाल, अरुण उनियाल, मेहरबान सिंह भंडारी, पंकज रावत, राजपाल सिंह, आरपी कोहली, भरत सिंह नेगी, रविद्र डोगरा, जसपाल सिंह आदि शामिल थे।


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