Dehradun: पानी की बूंद-बूंद को तरस रहा कोटड़ी गांव, जल के लिए 14 किमी जाने को मजबूर ग्रामीण
करीब एक करोड़ की लागत से बनी करीब 14 किमी. लंबी इस डबराड पेयजल योजना में पिछले पांच दिनों से पेयजल आपूर्ति ठप है। ग्रामीणों ने विभाग से इस संबंध में शिकायत की तो विभाग ने भी कोई ध्यान नहीं दिया।
रिखणीखाल, संवाद सूत्र। एक ओर बाघ की दहशत और दूसरी ओर सूखते हलक। बाघ की दहशत के आगे हलक तर करना कोटड़ी गांव के वाशिंदों के लिए चुनौती बन गई है। ग्रामीणों को पानी की तलाश में करीब दो किमी. की दौड़ लगानी पड़ रही है। पानी की दौड़ कब जीवन पर भारी पड़ जाए, कहा नहीं जा सकता। करीब छह माह पूर्व जल जीवन मिशन के तहत ग्रामसभा कोटड़ी के अंतर्गत कोटड़ी पल्ली, कोटड़ी वल्ली, चुनारगढ़, बंगला, अमठौर गांवों के लिए पेयजल योजना बनाई गई।
करीब एक करोड़ की लागत से बनी करीब 14 किमी. लंबी इस डबराड पेयजल योजना में पिछले पांच दिनों से पेयजल आपूर्ति ठप है। ग्रामीणों ने विभाग से इस संबंध में शिकायत की तो विभाग ने भी कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजा, ग्रामीणों ने स्वयं ही योजना को दुरूस्त करने का मन बना लिया। सोमवार शाम ग्रामीण करीब 14 किमी. की दूरी तय कर गांव के मुख्य स्रोत पर पहुंचे, जहां उन्होंने पाया कि स्रोत में गंदगी जमा होने के कारण पानी लाइन तक नहीं पहुंच रहा है।
ग्रामीणों ने स्रोत की सफाई कर लाइन में पानी शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने बताया कि लाइन में पानी शुरू होने के बाद पता चला कि पेयजल लाइन जगह-जगह टूटी हुई है। कई स्थानों पर लाइन में बड़े लीकेज भी पाए गए। नतीजा, लीकेज के कारण पानी का प्रेशर नहीं बन पा रहा था व गांव तक पूरा पानी नहीं पहुंच रहा। गांव में पूर्व में अमगडी गाड से पेयजल आपूर्ति होती थी।
करीब डेढ़ किमी.लंबी यह पेयजल योजना 1985 में बनी थी। लेकिन, रखरखाव के अभाव में कुछ वर्ष बाद ही योजना ने दम तोड़ दिया। जिसके बाद करीब छह माह पूर्व जल-जीवन मिशन के तहत इस ग्राम सभा के लिए डबराड़ पेयजल योजना बनाई गई। पिछले पांच दिनों से लाइन में पानी न होने के कारण ग्रामीण करीब दो किमी. दूर छड़ियाणी से पानी लाने को विवश है।
डबराड पेयजल योजना के बंद होने के संबंध में जानकारी नहीं है। यदि योजना बंद हुई है तो उसे तत्काल शुरू किया जाएगा। साथ ही योजना में आने वाली तमाम खामियों को तत्काल निस्तारित किया जाएगा। (अजय बेलवाल, अधिशासी अभियंता, पेयजल निगम)