दैनिक वनकर्मियों को पीआरडी के समान मिलेगा वेतन
जागरण संवाददाता, कोटद्वार: प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि वन महकमे
जागरण संवाददाता, कोटद्वार:
प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि वन महकमे में कार्यरत वन श्रमिकों के मानदेय में बढ़ोत्तरी का निर्णय लिया गया है। बताया कि अब दैनिक वन श्रमिकों को पीआरडी व उपनल कर्मियों के समान मानदेय दिया जाएगा।
मंगलवार को पनियाली स्थित अरण्य सभागार में कार्बेट टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए डॉ. रावत ने यह बात कही। मंगलवार शाम करीब तीन बजे से शुरू हुई बैठक चार घंटे तक चली। डॉ. रावत ने बताया कि पार्क क्षेत्र में प्रत्येक वन चौकी पर एक-एक अतिरिक्त कर्मी की तैनाती का निर्णय लिया गया है, जिसका मानदेय फाउंडेशन से दिया जाएगा। साथ ही दैनिक श्रमिकों को नियमित कर्मियों की भांति भोजन भत्ता भी दिया जाएगा। इसके अलावा अब दैनिक वन श्रमिकों को पीआरडी व उपनल कर्मियों के समान मानदेय मिलेगा।
बैठक में कार्बेट टाइगर रिजर्व में टास्क फोर्स के गठन का निर्णय लिया गया। कोटद्वार क्षेत्र से पर्यटकों की आवाजाही बढ़ाने के लिए 35 जिप्सियों का पंजीकरण करने का भी निर्णय लिया गया। साथ ही बेरोजगार युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए स्किल डेवलपमेंट के तहत 250 युवाओं को गाइड का प्रशिक्षण देने का भी निर्णय बैठक में लिया गया। बैठक में मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक राजीव भरतरी, सीटीआर निदेशक राहुल, उप निदेशक शेखर जोशी, केटीआर के प्रभागीय वनाधिकारी पुनीत तोमर, लैंसडौन प्रभागीय वनाधिकारी अखिलेश तिवारी मौजूद रहे। ड्यूटी के दौरान वनकर्मी के साथ हादसा होने पर पांच लाख की सहायता
बैठक में गश्त के दौरान वन कर्मियों की सुरक्षा पर भी चर्चा की गई। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. रावत ने बताया कि कार्बेट टाइगर रिजर्व में यदि किसी वन कर्मी के साथ ड्यूटी के दौरान कोई हादसा होता है तो कार्बेट फाउंडेशन से कर्मी के परिवारजनों को पांच लाख की सहायता राशि दी जाएगी। बताया कि अभी तक फाउंडेशन पीड़ित परिवार को दो लाख की सहायता राशि देता था। बढ़ाई गई धनराशि नियमित कर्मियों के साथ ही दैनिक श्रमिकों व पार्क क्षेत्र में कार्य करने वाले श्रमिकों के परिजनों को भी मिलेगी।
बाघ से हमले को कमेटी का गठन
बैठक में पार्क क्षेत्र में हो रही बाघ के हमले की घटनाओं का अध्ययन करने के लिए एक कमेटी गठित करने का निर्णय लिया गया। कमेटी तीन माह में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। कमेटी वन कर्मियों की समस्याओं को सुन उनका उल्लेख भी रिपोर्ट में करेगी।