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आत्मा की सत्ता नहीं, आयामों पर करें विश्वास: प्रो. वाजपेयी

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: कोटद्वार के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में देवभूमि विचार मंच की ओर से

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 07:06 PM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 07:06 PM (IST)
आत्मा की सत्ता नहीं, आयामों पर करें विश्वास: प्रो. वाजपेयी

जागरण संवाददाता, कोटद्वार: कोटद्वार के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में देवभूमि विचार मंच की ओर से 'भारतीय अध्यात्म विज्ञान की वर्तमान में प्रासंगिकता' विषय पर राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में भारतीय अध्यात्म दर्शन पर विस्तृत चर्चा की गई।

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कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कार्यक्रम संयोजक डा. तृप्ति दीक्षित ने कहा कि भारतीय आध्यात्मिक दर्शन में ही विज्ञान समाया है। कहा कि अपने-अपने चेतन तत्व का दर्शन अथवा अपने आत्म की पहचान ही अध्यात्म है। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेयी ने कहा कि भारतवर्ष की समस्त पूंजी उसकी आध्यात्मिक संपदा है। कहा कि आत्मा की विशेषताओं को जीवन में लाने अथवा आचरण में लाने की प्रक्रिया ही आध्यात्मिकता है। इसके लिए जरूरी है कि व्यक्ति आत्मा की सत्ता पर ही नहीं, बल्कि उसके आयामों पर भी विश्वास करें। बताया कि जीवन में प्रदर्शन, नाटक और आडंबर व्यक्ति को आध्यात्मिकता से दूर लेकर जाते हैं। बतौर मुख्य वक्ता महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय भोपाल के प्रो. निलिम्प त्रिपाठी ने लोकेषणा (लोक में ख्याति की कामना), वित्तेषणा (धन की कामना) व पुत्रेष्णा (पुत्र की कामना अथवा पुत्र मोह) से मुक्त हो जाना ही आध्यात्मिकता का मंत्र बताया। कहा कि मन, विचार व वर्तन की शुद्धता ही तपस्या है। हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण के सचिव डा. ललित नारायण मिश्रा ने आधुनिक विज्ञान में हमारे ग्रंथों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कहा कि निर्विचार होना ही आध्यात्मिकता है और जीवन में तर्पण का विशेष महत्व है। कहा कि हमारे ग्रंथ पूर्ण रूप से समृद्ध हैं और इनमें विज्ञान समाया है। हम अपने ग्रंथों में वैज्ञानिक महत्व की बातों को समझ पाने में असफल रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्य डा. जानकी पंवार ने कहा कि जीवन का अर्थ मात्र भौतिक आकांक्षा या कामनाएं नहीं हैं। यह आकांक्षाएं व कामनाएं जीवन के वास्तविक उद्देश्यों से परे है। संचालन कार्यक्रम संयोजक डा. तृप्ति दीक्षित ने किया।


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